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क्या बात है आज तो पुराने दिन याद आ गये…………॥उस वक़्त बहुत अच्छा लिखते थे आप
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल पेश किया है आपने और उतनी ही सुन्दरता से सजाया है! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंगवाही दे रहे है ये पुराने पेड़ बागो के
जवाब देंहटाएंतुम्हे मिलने के वो सारे बहाने याद आते है !
वाह ! क्या कहू, एक-एक शब्द खुद व् खुद बहुत कुछ कह रहा है !
एक बात और कहना चाहूँगा शास्त्री जी कि दिल को कितना अच्छा लगता है जब कोई अपनी पुरानी रचना हाथ लग जाए ! मुझे भी अस्सी के दशक की अपनी लिखी एक डायरी कुछ समय पहले हाथ लगी थी ! और जब मैं उसे पढने बैठा तो भाव-विभोर हो गया था ! आजकल जो कुछ लिख रहा हूँ, उसे बुढापे के लिए संजो कर रख रहा हूँ ! आँखों ने साथ दिया तो आँगन में चारपाई लगा बैठ कर खुद पढूगा नहीं तो बीबी से बोलूंगा तूम पढ़ कर सूना दो .... अह हा-हा-हा !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुहानी ग़ज़ल है
जवाब देंहटाएं---
BlueBird
बधाई हॊ जी शाष्त्रीजी,
जवाब देंहटाएंरामराम.
दिल को छू गये..क्या जज़्बात पिरोया आपने..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल....
बहुत खूब बात दिल को छू गयी है
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
मयंक जी लाजवाब गज़ल है बधाई
जवाब देंहटाएं"हमें गुजरे हुए मंजर सुहाने याद आते हैं"
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, शास्त्री जी |
बधाई हॊ|
बहुत खूबसूरत गज़ल -- नज़ाकत भी है और नफासत से सजी हुई.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
क्या सजी-धजी नवेली सी गज़ल है.बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल पेश किया है आपने और उतनी ही सुन्दरता से सजाया है.........
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी प ने तो सच मै हमें गुजरे हुए मंजर सुहाने याद दिला दिये, बहुत ही हसीन गजल
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
क्या बात है,ओल्ड इज़ गोल्ड्।पुरानी शराब और पुराना चावल तो सुना था मगर ये पुराना शायर…………॥शानदार।
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंक्या बात है ............
बेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंमन विभोर हो उठा पढ़ कर.....
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन.....
बहुत आंसू बहाये थे, बडे सपने सजाये थे
जवाब देंहटाएंहमे जिन्दादिली के वो ज़माने याद आते हैं.
शास्त्री जी बडी प्यारी अभिव्यक्ति है....साधू
puraani yaadon ko bahut hi khoobsoorti se shabdon ki maala mein piroya hai aapne.........
जवाब देंहटाएंati sundar gajal ...Bahut khoob....
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