बात का ग़र ग़िला नहीं होता
रार का सिलसिला नहीं होता
ग़र न ज़ज़्बात होते सीने में
दिल किसी से मिला नहीं होता
आम में ज़ायका नहीं आता
वो अगर पिलपिला नहीं होता
तिनके-तिनके अगर नहीं चुनते
तो बना घोंसला नहीं होता
दाद मिलती नहीं अगर उनसे
तो बढ़ा हौसला नहीं होता
प्यार में बेवफा अगर होते
संग में काफिला नहीं होता
“रूप" आता नहीं बगीचे में,
फूल जब तक खिला नहीं होता
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शनिवार, 13 जुलाई 2019
ग़ज़ल "आम में ज़ायका नहीं आता" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नमस्कार शास्त्री जी , खूब होती हैं आपकी तुकबंदी कवतिाऐं , बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar, Badhayi.
जवाब देंहटाएंShayad ye bhi aapko pasand aayen- Albert Einstein Quotes , Love Quotes for Him
manmohak kavita sir mazaa aagya
जवाब देंहटाएंYou may like - Make Real Money with These Android Apps