-- धरा सुसज्जित होती जिनसे, वो ही वृक्ष कहाते हैं, जो गौरव और मान बढ़ाते, वो ही दक्ष कहाते हैं। -- हरित क्रान्ति के संवाहक, ये जन,गण के
रखवाले, प्राण प्रवाहित करने वाली, मन्द समीर बहाते हैं। -- पत्ते, फूल, मूल, फल जिनके, जीवन देने वाले हैं, देते हैं ये अन्न और अमृत सा जल बरसाते हैं। -- उपवन, आँगन, खेत, बाग में हमको पेड़ लगाने हैं, इनकी शीतल छाया में ही जीव-जन्तु सुख पाते हैं। धरती का तो 'रूप' अमर है पेड़ों की हरियाली से, कदम-कदम पर ये जीवन में काम हमारे आते हैं। |
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शनिवार, 19 सितंबर 2020
गीतिका "मन्द समीर बहाते हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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धारा से कुछ लेना है, तो लौटाना भी जरुरी है
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२०-०९-२०२०) को 'भावों के चंदन' (चर्चा अंक-३०३८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
बेहतरीन सृजन।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवृक्ष और उनका मानव के लिए महत्त्व, सभी कुछ सरसता से समेटे सुंदर मनभावन गितिका।
जवाब देंहटाएंधरती का तो 'रूप' अमर है पेड़ों की हरियाली से,
जवाब देंहटाएंकदम-कदम पर ये जीवन में काम हमारे आते हैं।
वाह!!!
सुन्दर ....सार्थक...।
धरती का तो 'रूप' अमर है पेड़ों की हरियाली से,
जवाब देंहटाएंकदम-कदम पर ये जीवन में काम हमारे आते हैं।
वाह!!!
सुन्दर ....सार्थक...।
धरती का तो 'रूप' अमर है पेड़ों की हरियाली से,
जवाब देंहटाएंकदम-कदम पर ये जीवन में काम हमारे आते हैं।
वाह!!!
सुन्दर ....सार्थक...।
सुंदर संदेश। सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंगहन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपेड़ों की उपयोगिता पर सार्थक गीतिका।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
सुंदर सृजन आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंधरा सुसज्जित होती जिनसे, वो ही वृक्ष कहाते हैं,
जो गौरव और मान बढ़ाते, वो ही दक्ष कहाते हैं।