भीम राव अम्बेदकर,
नमन तुम्हें शत् बार।।
पढ़ने-लिखने का सदा, मन में रहा जुनून।
भारत को तुमने
दिया, उपयोगी कानून।।
निर्धनता को
देखकर, कभी न मानी हार।
जीवनभर करते रहे,
दलितों का उद्धार।।
करते माया के लिए,
राजनीति का काम।
तुमको करते
कापुरुष, दुनिया में बदनाम।।
न्यायालय में
न्याय हो, सबके लिए समान।
भेद-भाव जिसमें
नहीं, ऐसा रचा विधान।।
|
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रविवार, 14 अप्रैल 2019
दोहे "भीम राव अम्बेदकर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (15-04-2019) को "भीम राव अम्बेदकर" (चर्चा अंक-3306) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
- अनीता सैनी
Jay bheem
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