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शनिवार, 30 मई 2009
‘‘सेल-फोन (मोबाइल)’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
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बड़े भाई
जवाब देंहटाएंमोबाइल पर रचना कमाल की .बधाई.
Vakai kai khubiyan hain is Mobile mein !
जवाब देंहटाएंइस तरह की रचनायें मुझे बहुत भाती हैं
जवाब देंहटाएंअपने बीते बचपन की याद दिलाती हैं
aapne to mobile ki sari khoobiyan gina di.bahut badhiya.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंमोबाईल पुराण बहुत सुन्दर लगा बधाइ
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना!
जवाब देंहटाएंआजकल बच्चों का
सबसे प्यारा खिलौना
मोबाइल ही है!