मित्रों।
कवि देवदत्त "प्रसून" आज हमारे बीच नहीं हैं।
लेकिन उनका साहित्य अमर रहेगा।
--
डोर तुम्हारे हाथों में (देवदत्त प्रसून)मेरी साँस की डोर तुम्हारे हाथों में ।
है दामन
का छोर तुम्हारे हाथों में ।।
प्यासा जैसे रहा
हो कोई सावन में -
खडा लिये
उम्मीद जैसे आँगन
में ।।
तुम आये
मन भीग उठा, आनन्द
मिला -
मैं
हूँ हर्ष विभोर, प्रेम
सौगातों में ।
नाच उठे ज्यों मोर सघन बरसातों में ।।1।।
लम्बी
बिरह के बाद तुम्हारी पहुनाई ।
जैसे
बादल हटे पूर्णिमा खिल
आयी ।।
बिखरा सुन्दर
हास,धरा के
आँचल में -
ज्यों खुश
हुए चकोर , चाँदनी
रातों में ।।2।।
मिलन की वीण से पीडित मन बहलाओ ।
तार प्यार
के धीरे धीरे
सहलाओ ।।
अँगुली का
वरदान जगे मीठी सरगम ।
छुपे हैं मीठे
शोर, मधुर
आघातों में ।
डूबी हर
टंकोर ,मृदुल
सुर सातों में ।।3।।
मैंने मन की
कह ली, तुम भी बोलो तो
।
मेरे कानों में भी मधु रस घोलो तो ।।
है मिठास मिसरी सी कितनी स्वाद भरी -
हे प्रियतम
चितचोर , तुम्हारी
बातों में ।
सुख मिल
गयाअथोर ,स्नेह
के नातों में ।।4 ।।
"प्रसून
"तेरी याद इस तरह मन में है -
मीठी
मीठी गन्ध महकती सुमन में है ।।
कोई
सुन्दर मोती मानों सीप में हो -
उतरे जैसे
हंस बगुल की
पाँतों में ।
या शबनम
की बूँद कमल की पाँतों में।।5।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 26 नवंबर 2014
"साँस की डोर-देवदत्त 'प्रसून' " (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
विनम्र श्रद्धाँजलि। एक उच्च कोटि के कवि ब्लागर के साथ हमने एक अच्छा पाठक भी खो दिया ।
जवाब देंहटाएंसादर श्रद्धांजलि..।।
जवाब देंहटाएंसादर श्रद्धा सुमन!
जवाब देंहटाएंविनम्र सादर श्रद्धाँजलि...!
जवाब देंहटाएंनमन
जवाब देंहटाएंसादर नमन !
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर रचना किसी प्रबुद्ध आत्मा की ही हो सकती है ,उन्हें देरों नमन
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार !
"प्रसून "तेरी याद इस तरह मन में है -
जवाब देंहटाएंमीठी मीठी गन्ध महकती सुमन में है ।।
कोई सुन्दर मोती मानों सीप में हो -
उतरे जैसे हंस बगुल की पाँतों में ।
या शबनम की बूँद कमल की पाँतों में।।5।।
श्रधांजलि