भारत माता के लिए, हुए पुत्र बलिदान।
ऐसे बेटों पर सदा, माता को अभिमान।१।
दिल से जो है निकलती, वो ही करे कमाल।
बेमन से लिक्खी हुई, कविता बने बबाल।२।
राजनीति के खेल में, कुटिल चला जो चाल।
उसकी जय-जयकार है, उसका ही सब माल।३।
चलते-चलते सफर में, बन जाते संयोग।
मिलते हैं इसजगत में, सभी तरह के लोग।४।
फल-तरकारी खाइए, निखर जाएगा रंग।
तला-भुना खाकर नहीं, होता निर्मल अंग।५।
सीमित शब्दों में कहो, सीधी-सच्ची बात।
जली-कटी कहकर कभी, देना मत आघात।६।
उपादान के मर्म को, समझ लीजिए आज।
धर्म और सत्कर्म से, सुधरे देश-समाज।७।
अनाचार को देखकर, लोग हो रहे मौन।
नौका लहरों में फँसी, पार लगाये कौन।८।
करती हैं दो पंक्तियाँ, दिल पर करतीं वार।
होता दोहा छन्द है, दोधारी तलवार।९।
सदा कलम से हारती, तोप और तलवार।
सबसे तीखी विश्व में, शब्दों की है मार।१०।
जो दिल से निकलें वही, सच्चे हैं अशआर।
सच्चे शेरों से सभी, करते प्यार अपार।११।
मानव दानव बन रहा, करता कृत्य जघन्य।
सजा मौत से कम नहीं, इनको हो अनुमन्य।१२।
जिसकी जैसी सोच है, वैसी उसकी होड़।
कोई मद्धिम चल रहा, कोइ लगाता दौड़।१३।
हास और परिहास से, मिलता है आनन्द।
लम्बे जीवन के लिए, सूत्र यही निर्द्वन्द।१४।
सोच-सोच में हो गई, अपनी उम्र तमाम।
बचा जरा सी ज़िन्दगी, कैसे होंगे काम।१५।
सावन सूखा हो रहा, नहीं बरसते नीर।
निर्धन, श्रमिक-किसान का, मन हो रहा अधीर।१६।
मिल जाता जब किसी को, उसके मन का मीत।
अंग-अंग में थिरकता, प्यारभरा संगीत।१७।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 19 जुलाई 2017
विविध दोहे ''सीधी-सच्ची बात'' (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
एक से बढकर एक प्रेरक व् शानदार दोहे
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ! हमेशा की तरह बढ़िया लेखन ,शुभकामनायें। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 2672 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
वाह ... लाजवाब ... विविध रंगों में सजे दोहे ... हमेशा की तरह ताजगी लिए ...
जवाब देंहटाएंrashtravadi dohe .. shandar
जवाब देंहटाएंवाह !बेहतरीन सर 👌👌👌
जवाब देंहटाएंप्रणाम