छिपी हुई खारे आँसू में, दुख की कोई निशानी है।।
मेड़ खेत को लगी निगलने, किसको दोषी ठहरायें,
रक्षक ही भक्षक बन बैठे, न्याय कहाँ से हम पायें,
अन्धा है कानून, न्याय की डगर बनी बेगानी है।
छिपी हुई खारे आँसू में, दुख की कोई निशानी है।।
दुर्जन कुर्सी पर, लेकिन सज्जन फिरते मारे-मारे,
सच्चों की अब खैर नही, झूठों के हैं वारे-न्यारे,
शौर्य-वीरता की तो मानों, थम सी गयी रवानी है।
छिपी हुई खारे आँसू में, दुख की कोई निशानी है।।
दुर्बल को बलवान लूटता, जनता को राजा लूटे,
निर्धन बिना मौत मरता, धन के बल से कातिल छूटे,
बे-ईमानों की इस कलयुग में, चमक रही पेशानी है।
छिपी हुई खारे आँसू में, दुख की कोई निशानी है।।
मेड़ खेत को लगी निगलने, किसको दोषी ठहरायें,
जवाब देंहटाएंरक्षक ही भक्षक बन बैठे, न्याय कहाँ से हम पायें,
bahut sahi kaha aapne.
लाजवाब, क्या कहने!
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तख़लीक़-ए-नज़र
वाह! क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंमेड़ खेत को लगी निगलने, किसको दोषी ठहरायें,
जवाब देंहटाएंरक्षक ही भक्षक बन बैठे, न्याय कहाँ से हम पायें,
आज का सच.
धन्यवाद
मेड़ खेत को लगी निगलने, किसको दोषी ठहरायें,
जवाब देंहटाएंरक्षक ही भक्षक बन बैठे, न्याय कहाँ से हम पायें,
मयंक जी बिलकुल सही अभिव्यक्ति है सच मे आज न्याय पाना बहुत कठिन है आभार्
बहुत सटीक रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सच है शास्त्रीजी, हमारी सामाजिक दुर्दशा को आईना दिखती है यह रचना. बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंलाजवाब, क्या कहने!
जवाब देंहटाएंhttp://swapnamanjusha.blogspot.com/
waah waah...........jag ki kahani ko shabd de diye aapne.
जवाब देंहटाएंसटीक रचना
जवाब देंहटाएंआज के हालातों का सही चित्रण
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंलाजवाब चित्रण सर
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर एवं सार्थक अभिव्यक्ति। हर पंक्ति में सटीक संदेश है। सादर प्रणाम।
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जवाब देंहटाएंदुर्बल को बलवान लूटता, जनता को राजा लूटे,
निर्धन बिना मौत मरता, धन के बल से कातिल छूटे,
बे-ईमानों की इस कलयुग में, चमक रही पेशानी है।
छिपी हुई खारे आँसू में, दुख की कोई निशानी..सार्थक संदेश देती सुंदर सारगर्भित रचना ।
अन्धा है कानून, न्याय की डगर बनी बेगानी है।
जवाब देंहटाएंछिपी हुई खारे आँसू में, दुख की कोई निशानी है।।
आज के हालात का सटीक चित्रण करता गीत....
आज की विसंगतियों पर सटीक रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
स्वास्थ्य अब पहले से बेहतर होंगा आदरणीय ।
सादर।