जो काम नही कर पायें दूसरे, वो जोकर कर जाये। सरकस मे जोकर ही, दर्शक-गण को खूब रिझाये। नाक नुकीली, चड्ढी ढीली, लम्बी टोपी पहने, उछल-कूद कर जोकर राजा, सबको खूब हँसाये। चाँटा मारा साथी को, खुद रोता जोर-शोर से, हाव-भाव से, शैतानी से, सबका मन भरमाये। लम्बावाला तो सीधा है, बौना बड़ा चतुर है, उल्टी-सीधी हरकत करके, बच्चों को ललचाये। (चित्र गूगल सर्च से साभार) |
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सोमवार, 6 जुलाई 2009
‘‘जोकर’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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राज कपूर साहेब की मेरा नाम जोकर याद आ गयी...बहुत रोचक रचना है...बधाई...
जवाब देंहटाएंनीरज
आज तो गुजरे जमाने याद दिला दिये. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
लाजवाब
जवाब देंहटाएं--- आपके विचारों की आवश्यता है
चर्चा । Discuss INDIA
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंjokar se sikh leni chahiye sab ko, kaise apne gum ko bhul logo ko hasaya jata hai... Badhai sweekaare..!
जवाब देंहटाएंबहुत बडिया दूसरों को हसाना बहुत कठिन काम है यही जोकर की खूबी है सुन्दर आभार्
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना !!!
जवाब देंहटाएंवाकई, मेरा नाम जोकर याद आ गई.
जवाब देंहटाएंsach mera naam joker yaad aa gayi ............bahut badhiya likha aapne.
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