हो सारे जग में
उजियारा।।
दुर्गुण मन से दूर
भगाओ,
राम सरीखे सब बन
जाओ,
निर्मल हो गंगा की
धारा।
हो सारे जग में
उजियारा।।
विजय पर्व हो या
दीवाली,
रहे न कोई मुट्ठी खाली,
स्वच्छ रहे
आँगन-गलियारा।
हो सारे जग में
उजियारा।।
कंचन जैसा तन चमका
हो,
उल्लासों से मन
दमका हो,
खुशियों से महके
चौबारा।
हो सारे जग में
उजियारा।।
सभी अल्पना आज सजाएँ,
माता से धन का वर
पाएँ,
आओ दूर करें
अँधियारा।
हो सारे जग में
उजियारा।।
घर-घर बँधी हुई हो
गैया,
चहके प्यारी सोन
चिरैया,
सुख का सरसेगा
फव्वारा।
हो सारे जग में
उजियारा।।
|
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शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2018
गीत "चहके प्यारी सोन चिरैया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सदभावों से सुसज्जित पावन रचना आदरणीय।
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व 'विजयादशमी' - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंbironta05.blogspot.com
जवाब देंहटाएंhariomtatsat05.blogspot.com
आलोकित हो चमन हमारा।
हो सारे जग में उजियारा।।
चहके प्यारे सोन चिरैया कोमल सुकुमार भावनाओं का भाव गीत शास्त्री जी की कलम से बाँचकर मन आनंदित हुआ।
सार्थक रचना
जवाब देंहटाएं