-ःक्षणिकाएँः-
(१)
सोने की चमक चांदी की दमक सिक्कों की खनक किसे अच्छी नहीं लगती
(२)
खादी की ललक
श्यामल अलक
कुर्सी की झलक
किसे अच्छी नहीं लगती
(३) अपनी मैया चैन की शैया दुधारू गैया किसे अच्छी नहीं लगती
(४)
घर में खुशहाली
धनतेरस और दिवाली
शाम मतवाली
किसे अच्छी नही लगती
(५) सूरज की लाली चाय की प्याली सजी हुई घरवाली किसे अच्छी नहीं लगती |
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रविवार, 21 अक्तूबर 2018
क्षणिकाएँ "पाँच शब्द चित्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-10-2018) को "किसे अच्छी नहीं लगती" (चर्चा अंक-3132) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं 👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी क्षणिकाएँ
जवाब देंहटाएंसुन्दर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंवाहगुरुजी.ब्लागस्पाट.कॉम
vaahgurujio.blogspot.com
kabirakhadabazarmein.com