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अपने पतियों पर करें, सभी नारियाँ गर्व।
करवाचौथ सुहाग का, होता पावन पर्व।।
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सजनी करवाचौथ पर, रखती है उपवास।
साजन-सजनी के लिए, दिवस बहुत ये खास।।
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जन्म-जिन्दगीभर रहे, सबका अटल सुहाग।
साजन-सजनी में सदा, बना रहे अनुराग।।
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जरा-जरा सी बात पर, कभी न हो तकरार।
पति-पत्नी के बीच में, आये नहीं दरार।।
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प्रीति सदा बढ़ती रहे, आपस में हो प्यार।
पावन करवाचौथ है, निष्ठा का त्यौहार।।
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वंश-बेल चलती रहे, हँसी-खुशी के साथ।
पति-पत्नी का उमर भर, रहे सलामत साथ।।
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परम्परा बदली बहुत, बदल न पाया ढंग।
अब भी पर्वों का चलन, नहीं हुआ है भंग।।
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माता करती कामना, सुखी रहे परिवार।
छिने न करवाचौथ का, बहुओं से अधिकार।।
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गुरुवार, 17 अक्तूबर 2019
दोहे "करवाचौथ सुहाग का, होता पावन पर्व" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह ! पर्व अनुसार बहुत सुन्दर दोहे।
जवाब देंहटाएंपरम्परा बदली बहुत, बदल न पाया ढंग।
जवाब देंहटाएंअब भी पर्वों का चलन, नहीं हुआ है भंग।
यथार्थ... ज़माने ने सब चाल चलन बदल दिए लेकिन हमारे रीति रिवाज, त्यौहार ज्यों के त्यों गर्व और शान से मनाएं जाते हैं
यहीं खूबसूरती है हमारी संस्कृति की
दुआ मेरी नयी रचना पर पधारें