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चौमासे में श्याम घटा जब आसमान पर छाती है।
आजादी के उत्सव की वो मुझको याद दिलाती है।।
देख फुहारों को उगते हैं, मेरे अन्तस में अक्षर,
इनसे ही कुछ शब्द बनाकर तुकबन्दी हो जाती है।
खुली हवा में साँस ले रहे हम जिनके बलिदानों से,
उन वीरों की गौरवगाथा, मन में जोश जगाती है।
लाठी-गोली खाकर, कारावास जिन्होंने झेला था,
वो पुख़्ता बुनियाद हमारी आजादी की थाती है।
खोल पुरानी पोथी-पत्री, भारत का इतिहास पढ़ो,
यातनाओं के मंजर पढ़कर, छाती फटती जाती है।
आओ अमर शहीदों का, हम प्रतिदिन वन्दन-नमन करें,
आजादी की वर्षगाँठ तो, एक साल में आती है।
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बहुत ही सुंदर रचना व प्रस्तुति , आ. शुभकामनाएं , धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !
सादर
यौमे आज़ादी को समर्पित बेहतरीन गीत। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार रचना |स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवीर जवानों की क़ुरबानी की याद दिलाती सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंचौमासे में श्याम घटा,
जवाब देंहटाएंजब आसमान पर छाती है।
आजादी के उत्सव की,
वो मुझको याद दिलाती है।।
खुली हवा में साँस ले रहे,
हम जिनके बलिदानों से,
उन वीरों की गौरवगाथा,
मन में जोश जगाती है...
उच्चारण
सुंदर-बालगीत जैसा आजादी का गीत
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति...
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