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बुधवार, 24 दिसंबर 2014
‘‘ताजमहल-अगर बुरा लगे तो क्षमा करना’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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परत दर परत ..जाने कितना कुछ छुपा होगा .
जवाब देंहटाएंहमारे देश में सच्चाई को जानने की कोशिश कौन करता है और कोई करता भी है तो उसको साम्प्रदायिक करार दे दिया जाता है ! यही कारण है कि आज भी हम झूठे तथ्यों पर आधारित इतिहास को पढकर अपनें आपको गोरवान्वित महसूस करते हैं !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-12-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1838 में दिया गया है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सत्य का साक्षातकार कराती सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसच के मुंह पर ताला लगा
झूठ भी अब इतराने लगे है
जब सच्चाई सामने आने लगी
बारहां लोग घबरानें लगे हैं
देख चेहरा ताज का"रूप" वर्णित
इतिहास पंडित शर्माने लगे हैं