पहन नया परिधान।
सारे जग से न्यारा, अपना है गणतंत्र महान॥
--
ज्ञान गंग की बहती धारा, चन्दा-सूरज से उजियारा। आन-बान और शान हमारी, संविधान हम सबको प्यारा। प्रजातंत्र पर भारत वाले,
करते हैं अभिमान।
सारे जग से न्यारा, अपना है गणतंत्र महान॥
--शीश मुकुट हिमवान अचल है,
सुंदर -सुंदर ताजमहल है। गंगा - यमुना और सरयू का, पग पखारता पावन जल है। प्राणों से भी मूल्यवान है,
हमको हिन्दुस्तान।
सारे जग से न्यारा, अपना है गणतंत्र महान॥
--स्वर भर कर इतिहास सुनाता,
महापुरुषों से इसका नाता। गौतम-गांधी, दयानंद की, प्यारी धरती भारतमाता। यहाँ हुए हैं पैदा नानक,
राम, कृष्ण-भगवान।
सारे जग से न्यारा, अपना है गणतंत्र महान॥
--
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शुक्रवार, 24 जनवरी 2020
गीत "अपना है गणतंत्र महान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (२६-०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- ५ (चर्चा अंक -३५९२) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
-अनीता सैनी
बहुत ही सुंदर भाव संजोये बेहतरीन रचना । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय मयंक जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव से सजी रचना ,सादर नमन सर गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएं