आ गईं बहारें मधुवन में,
गुलशन में कलियाँ चहक उठीं,
पुष्पित बगिया भी महक उठी,
अनुरक्त हुआ मन का आँगन।
आया बसन्त, आया बसन्त।१।
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कोयल ने गाया मधुर गान,
चिड़ियों ने छाया नववितान,
यौवन ने ली है अँगड़ाई,
सूखी शाखा भी गदराई,
बौराये आम, नीम-जामुन।
आया बसन्त, आया बसन्त।२।
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हिम हटा रहीं पर्वतमाला,
तम घटा रही रवि की ज्वाला,
गूँजे हर-हर, बम-बम के स्वर,
दस्तक देता होली का ज्वर,
सुखदायी बहने लगा पवन।
आया बसन्त, आया बसन्त।३।
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खेतों में पीले फूल खिले,
भँवरे रस पीते हुए मिले,
मधुमक्खी शहद समेट रही,
सुन्दर तितली भर पेट रही,
निखरा-निखरा है नील गगन।
आया बसन्त, आया बसन्त।४।
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गुरुवार, 30 जनवरी 2020
गीत "आया बसन्त" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अत्यंत सुन्दर सृजन सर !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 31
जवाब देंहटाएंजनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुंदर मनभावन सृजन।।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (31-01-2020) को 'ऐ जिंदगी तेरी हर बात से डर लगता है' (चर्चा अंक - 3597) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (31-01-2020) को "ऐ जिंदगी तेरी हर बात से डर लगता है"(चर्चा अंक - 3597) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता लागुरी 'अनु '
खूबसूरत बसंत
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह!!बसंत के आगमन का खूबसूरत चित्रण !
जवाब देंहटाएं