“प्यार और मित्रता:Emily Bronte”Love and Friendship poem :
Emily Bronte
अनुवादक:डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”
|
प्यार एक जंगली गुलाब है लेकिन मित्रता एक सदाबहार पेड़ है -- -- जंगलों के झुरमुट में गुलाबी आभा लिए जंगली गुलाब खिलता है लगातार तब ऐसा प्रतीत होता है मानों मधुर मधुमास हँस रहा हो लेकिन ग्रीष्म आते ही यह मुरझा जाता है इसकी गन्ध विलीन हो जाती है और इसे इन्तजार रहता है सर्दियों के आने का यह मूर्ख सुमन दिसम्बर आते ही अपना शृंगार सँवारेगा और नये प्रेमियों को फिर से पुकारेगा -- -- किन्तु मित्रता के पवित्र पेड़ की हरी-हरी पत्तियाँ हमेशा स्थिर रहती हैं! |
Emily Brontë
AKA Emily Jane Brontë
Born: 30-Jul-1818
Birthplace: Thornton, Yorkshire, England
Died: 19-Dec-1848
|
ho ho ho ho
जवाब देंहटाएंachchha april fool bana gaye .. :)
जवाब देंहटाएंbade sayane jab murkh banate hue pakada diye jate hain to ye kahkar bach lete hain ki april fool bana diya.
जवाब देंहटाएंकुंडली
जवाब देंहटाएंनहीं बैद्यकी चल सकी, बना स्वयं ही फूल ।
खिसियानी बिल्ली सरिस , झोंक रहा था धूल ।
झोंक रहा था धूल, बनाता बुद्धू किसको ।
था माता का स्नेह, डुबाता स्वारथ उसको ।
मानव सात अरब, मगर लक्षण का अंतर ।
मात्र चार ही वर्ग, मिलें हर जगह निरंतर ।
१)
अत्याधिक हुशियार हैं, दुनिया मूर्ख दिखाय।
जोड़-तोड़ से हर जगह, लेते जगह बनाय ।।
२)
सचमुच में हुशियार हैं, हित पहलें ले साध ।
कर्म वचन में धार है , बढ़ते रहें अबाध ।।
३)
इक बन्दा सामान्य है, साधे जीवन मूल ।
कुल समाज भू देश हित, साधे सरल उसूल ।
४)
इस श्रेणी रविकर पड़ा, महामूर्ख अनजान ।
दुनियादारी से विलग, माने चतुर सयान ।।
ये कहने के अलावा और बचा ही क्या था
जवाब देंहटाएंवाह...वाह...वैद्य जी बुद्धिमान निकले!...मूर्ख दिवस के मौके का अच्छा फायदा उठाया!...प्यार और मित्रता की कविता सुन्दर है...बधाई!
जवाब देंहटाएंbahut sundar anuvaad ek rochak sachchi kahani ke saath.
जवाब देंहटाएंरोचक अख्यांश, न जाने कब तक ऐसे लोगों का बेडा पर होता रहेगा ...../
जवाब देंहटाएंजाने लोग ऐसे क्यों होते है... आपने अच्छा किया संमरण को शेयर कर मूर्खता दिवस पर सावधान रहने के लिए ताकीद किया ...
जवाब देंहटाएंकुछ लोग साल भर यही करते रहते हैं...जिस दिन कोई फँस गया वही दिन फर्स्ट अप्रैल...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक..बहुत बढिया..
जवाब देंहटाएंचल न पाई वैद्यकी, ऐसी खाई मात.
जवाब देंहटाएंदोपहरी में छा गयी, मानो मुख पे रात.:))
****
सुन्दर अनुवादित रचना सर....
सादर.
प्यार और मित्रता के अन्तर का सरल वर्णन।
जवाब देंहटाएं