अंग्रेजों के चंगुल से तो,
भारत माँ आजाद हो गयी!
लेकिन काले अंग्रेजों के,
जुल्मों से नाशाद हो गयी।।
आज वाटिका के माली के,
कपड़े उजले, दिल हैं काले,
मसल रहे भोले सुमनों को,
बनकर ये हाथी मतवाले,
आजादी की उत्कण्ठा अब,
कुण्ठा-पश्चाताप हो गयी।
भारत माँ आजाद हो गयी!!
तोड़ गुलामी की जंजीरे,
लालकिले पर ध्वज फहराया,
सोन चिरैया के हिस्से में,
संविधान परदेशी आया,
वीर सपूतों की कुर्बानी,
लगता है बरबाद हो गयी।
भारत माँ आजाद हो गयी!!
स्वप्न संजोए थे सिन्दूरी,
सब के सब रह गये अधूरे,
अब तो आशाएँ धूमिल हैं,
सपने कभी न होंगे पूरे,
जन-गण-मन गाते-गाते अब,
आजादी अभिशाप हो गयी।
भारत माँ आजाद हो गयी!!
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 26 अगस्त 2013
"भारत माँ आजाद हो गयी...!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
काश, आज़ादी पूर्ण होती
जवाब देंहटाएंसच में आजादी के अर्थ ही बदल गए कद्र ही नहीं की गई ,अब पछताए होत क्या ,बहुत अच्छी रचना बधाई आपको|
जवाब देंहटाएंहरएक देशभक्त के मन में ऐसी ही भावनाएं आती हैं।
जवाब देंहटाएंआज आजादी का अर्थ ही बदल गया है ,,,,
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बुधवार- 28/08/2013 को
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः7 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तियाँ यथार्थ नामा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तियाँ यथार्थ नामा। पूरी रचना अप्रतिम है भावों के उद्वेगों से संसिक्त है।
जवाब देंहटाएंआजादी की उत्कण्ठा अब,
कुण्ठा-पश्चाताप हो गयी।
भारत माँ आजाद हो गयी!!
सटीक सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएं