भारत की बेटी
दामिनी को श्रद्धाञ्जलि
हालत बदली कुछ नहीं, बीत गया इक साल।
रोज़ अनेकों दामिनी, हो जातीं बदहाल।।
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कपड़े उजले हो भले, मैला कारोबार।
गाँव गली हर खेत में, पनप रहा व्यभिचार।।
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अब तक भी कानून में, हुए नहीं बदलाव।
करते नहीं उपाय कुछ, देते मात्र सुझाव।।
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हार गया है लोक अब, जीत गया है तन्त्र।
सिर्फ किताबों में बचे, सदाचार के मन्त्र।।
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कैसे श्रद्धासुमन मैं, करूँ समर्पित आज।
ठोकर खाकर भी नहीं, सुधरा देश-समाज।।
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सोमवार, 16 दिसंबर 2013
"पनप रहा व्यभिचार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सटीक !
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १७/१२/१३को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है|
जवाब देंहटाएंवाह... सच लिखा है...
जवाब देंहटाएंसशक्त दोहा गीत। प्रासंगिक कथा वस्तु सार लिए।
जवाब देंहटाएंहार गया है लोक अब, जीत गया है तन्त्र।
सिर्फ किताबों में बचे, सदाचार के मन्त्र।।
जगना सबको पड़ेगा..
जवाब देंहटाएंपुराने ढर्रे पर चलने वाले कभी नहीं बदलेंगे !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट चंदा मामा
नई पोस्ट विरोध
सब के सब शातिरबैठे हैं
जवाब देंहटाएंसत्ता के गलियारें में
लगा के लाखों चेहरे अपने
देश बेचते गलियारे में
कुछ तो बदला
हार गया है लोक अब, जीत गया है तन्त्र।
सिर्फ किताबों में बचे, सदाचार के मन्त्र।।
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कैसे श्रद्धासुमन मैं, करूँ समर्पित आज।
ठोकर खाकर भी नहीं, सुधरा देश-समाज।।