उड़त
हैं रंग अबीर-गुलाल!
खेलते
होली मोहनलाल!!
कोई
गावे मस्त रागनी, कोई ढोल बजावे,
मस्ती
में भर करके राधा अपना नाच दिखावे,
बजाते
ग्वाले हैं खड़ताल!
खेलते
होली मोहनलाल!!
भोली
बालाओं को, कान्हा बहलावें-फुसलावें,
धोखे
से आ करके उनके मुँह पर रंग लगावें,
गोपियों
के बिगड़े हैं हाल!
खेलते
होली मोहनलाल!!
देवर-भाभी
में होती है, जमकर आँख-मिचौली,
गली-गाँव
में घूम रहीं हैं हुलियारों की टोली,
मचा
है चारों ओर धमाल!
खेलते
होली मोहनलाल!!
रंग-बिरंगी
पिचकारी, गोपाल-बाल के कर मे,
पकवानों
की सोंधी-सोंधी गन्ध समाई घर में,
सजे
गुझिया-मठरी के थाल!
खेलते
होली मोहनलाल!!
जीजा-साली
में होती है, मोहक हँसी-ठिठोली,
खुशियों
की सौगातें लेकर आई फिर से होली.
हुए
हैं रंग-बिरंगे गाल!
खेलते
होली मोहनलाल!!
|
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रविवार, 16 मार्च 2014
"खेलते होली मोहनलाल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुंदर ।
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाऐं ।
aapko sparivar holi ki hardik shubhkamnayen , sundar post
हटाएंआनन्दमयी होली, रंग बिरंगी।
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगी सुंदर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंसपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंहोली की मंगलकामनाएँ !
बहुत ही सुन्दर होली गीत... आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें ..
जवाब देंहटाएंआपका जवाब नहीं। शानदार रचनाएँ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर है रचना होली की -
जवाब देंहटाएंदेवर-भाभी में होती है, जमकर आँख-मिचौली,
गली-गाँव में घूम रहीं हैं हुरियारों की टोली,