तुम कलिका हो मन उपवन की। |
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०४-१२-२०२०) को 'निसर्ग को उलहाना'(चर्चा अंक- ३९०६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
मंगलकामनाएं।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना ! विवाह की चालीसवीं वर्षगांठ पर आप दोनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंअमर भारती नाम तुम्हारा,
जवाब देंहटाएं“रूप” तुम्हारा लगता है प्यारा,
मेरा मन मतवाला पंछी,
लेकिन तुम हो भोले मन की।
संगी-साथी साथी हो जीवन की।।
🌹☘️🌾⭐🔶⭐🌾☘️🌹
आदरणीय शास्त्री जी आप को एवं आदरणीया भाभीजी भारती जी को विवाह की वर्षगांठ पर अनंत हार्दिक मंगलकामनाएं 🙏❤️🙏
🌹☘️🌾⭐🔶⭐🌾☘️🌹
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
अत्यंत सुन्दर सृजन ।आप दोनों हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं🙏💐🙏
जवाब देंहटाएंवाह!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत सृजन श्रृंगार रस के मन से निकले बोल सरस सुंदर अभिनव।