दुखियों की सेवा करने को, यीशू धरती पर आया। निर्धनता में पलकर जग को जीवन दर्शन समझाया।। -- जन-जन को सन्देश दिया, सच्ची बातें स्वीकार करो! छोड़ बुराई के पथ को, अच्छाई अंगीकार करो!! कुदरत के ज़र्रे-ज़र्रे में, रहती है प्रभु की माया। निर्धनता में पलकर जग को जीवन दर्शन समझाया।। -- मज़हब की कच्ची माटी में, कुश्ती और अखाड़ा क्यों? फल देने वाले पेड़ों पर, आरी और कुल्हाड़ा क्यों? क्षमा-सरलता और दया का, पन्थ अनोखा बतलाया। निर्धनता में पलकर जग को जीवन दर्शन समझाया।। -- हत्या-लूटपाट करना, अपराध घिनौना होता है। महिलाओं का कोमल तन-मन, नहीं खिलौना होता है। कभी जुल्म मत ढाना इनपर, ये हम सबकी हैं जाया। निर्धनता में पलकर जग को जीवन दर्शन समझाया।। -- |
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गुरुवार, 24 दिसंबर 2020
गीत "पन्थ अनोखा बतलाया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मज़हब की कच्ची माटी में,
जवाब देंहटाएंकुश्ती और अखाड़ा क्यों?
फल देने वाले पेड़ों पर,
आरी और कुल्हाड़ा क्यों?
प्रभु यीशू के अवतरण दिवस क्रिसमस के परिप्रेक्ष्य में आपने समसामयिक त्रासदियों का गीत की पंक्तियों में जिस तरह उल्लेख किया है वह श्लाघनीय है।
साधुवाद एवं नमन आदरणीय 🙏🌷🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
मज़हब की कच्ची माटी में,
जवाब देंहटाएंकुश्ती और अखाड़ा क्यों?
फल देने वाले पेड़ों पर,
आरी और कुल्हाड़ा क्यों?
क्षमा-सरलता और दया का,
पन्थ अनोखा बतलाया।
निर्धनता में पलकर जग को
जीवन दर्शन समझाया
सुंदर। ज्ञानवर्धक।
जन-जन को सन्देश दिया,
जवाब देंहटाएंसच्ची बातें स्वीकार करो!
छोड़ बुराई के पथ को,
अच्छाई अंगीकार करो!!
कुदरत के ज़र्रे-ज़र्रे में,
रहती है प्रभु की माया।
संदेशयुक्त प्रेरक रचना...बहुत सुंदर...
सादर नमन 🙏
मज़हब की कच्ची माटी में,
जवाब देंहटाएंकुश्ती और अखाड़ा क्यों?
फल देने वाले पेड़ों पर,
आरी और कुल्हाड़ा क्यों?
क्षमा-सरलता और दया का,
पन्थ अनोखा बतलाया।
निर्धनता में पलकर जग को
जीवन दर्शन समझाया।।
बहुत सुंदर संदेश देती रचना।
मज़हब की कच्ची माटी में,
जवाब देंहटाएंकुश्ती और अखाड़ा क्यों?
फल देने वाले पेड़ों पर,
आरी और कुल्हाड़ा क्यों?
क्षमा-सरलता और दया का,
पन्थ अनोखा बतलाया।
निर्धनता में पलकर जग को
जीवन दर्शन समझाया।।
बहुत सुंदर सन्देश देती रचना।
बहुत सुंदर समयानुरूप सृजन।
जवाब देंहटाएंक्रिसमस पर हार्दिक शुभकामनाएं।