रास न आया कृषक को, सरकारी फरमान। |
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बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसमय को प्रतिबिंबित करते इन दोहों के लिए नमन आपको आदरणीय 🙏🌷🙏
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग साहित्य वर्षा में आपका स्वागत है, पधार कर उत्साहवर्धन करने की प्रार्थना है ...
https://sahityavarsha.blogspot.com/2020/12/blog-post_22.html?m=0
ए आज मजबूर हैं, जग के पालनहार।
जवाब देंहटाएंक्रय-विक्रय का फसल की, उनको दो अधिकार।।
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बिना बहस पारित किया, क्यों ऐसा कानून।
जो किसान हित में नहीं, बदलो वो मजमूनन।।
बहुत सुंदर ! सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंबिना बहस पारित किया, क्यों ऐसा कानून।
जवाब देंहटाएंजो किसान हित में नहीं, बदलो वो मजमूनन।।
बहुत सटीक।
सामयिक सुन्दर सार्थक लेखन
जवाब देंहटाएंवन्दन
समयानुरूप सार्थक यथार्थवादी दोहे।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
वर्तमान परिस्थिति पर सार्थक सृजन, सादर नमस्कार सर
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएं