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रविवार, 13 दिसंबर 2020
गीत-गंगा मइया "जल का स्रोत अपार कहाँ है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 14 दिसंबर 2020 को 'जल का स्रोत अपार कहाँ है' (चर्चा अंक 3915) पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंऊत्तम रचना।
जवाब देंहटाएंशानदार ,गंगा के प्रदूषण पर सटीक सवाल उठाती अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसाथ ही अभी देरी नहीं हुई ठीक हो सकता है का आश्वासन।
गंगा की वह वह धार कहाँ है...सटीक प्रश्न उठाती रचना के लिए बधाई|
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली लेखन।
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