यह भारत भूखण्ड हमारा।
दुनिया भर में सबसे न्यारा।।
जीवन की आभा है इसमें,
कुदरत की शोभा है इसमें,
सर्दी-गर्मी और बारिश का,
मौसम लगता कितना प्यारा।।
ज्ञानी-ध्यानी और वनचारी,
पैदा हुए यहाँ अवतारी.
सागर और हिमालय पर्वत,
बना हुआ इसका रखवारा।।
दलहन-धान-गेंहूँ की खेती,
अपनी प्यारी वसुधा देती,
गंगा-यमुना-सरस्वती की,
बहती निर्मल-पावन धारा।।
धरती गाती-अम्बर हँसता,
समय-समय पर मेघ बरसता,
पर्वत देता जड़ी-बूटियाँ,
जिनसे रोग हमेशा हारा।।
रंग-बिरंगे सुमन यहाँ हैं,
हँसता-गाता चमन यहाँ है,
एक देश है-भिन्न सभ्यता,
लेकिन सबमें भाई-चारा।।
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शनिवार, 10 अगस्त 2013
"दुनिया भर में सबसे न्यारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जीवन की आभा है इसमें,
जवाब देंहटाएंकुदरत की शोभा है इसमें,
सर्दी-गर्मी और बारिश का
मौसम लगता कितना प्यारा।।
वाह ...बहुत खूब ...हमारा देस कितना प्यारा।।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंज्ञानी-ध्यानी और वनचारी,
जवाब देंहटाएंपैदा हुए यहाँ अवतारी.
सागर और हिमालय पर्वत,
बना हुआ इसका रखवारा ।।
वाह ... बहुत खुब कहा आपने... सचमुच में हमारा देश बहुत सुन्दर पर इसे हम गन्दा करते जा रहे है ...........................
प्यारा देश हमारा..सुन्दर पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बढिया, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (11-08-2013) के चर्चा मंच 1334 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : जिन्दगी.
देशभक्ति का रंग छाने लगा है...
जवाब देंहटाएं१५ अगस्त आने लगा है...
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 6 अगस्त से 10 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा