सुमन पुलकित हो रहा अभिनव नवल शृंगार भर।
दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।
भ्रमर की गुञ्जार गुन-गुन गान है गाने लगी,
तितलियों की फड़फड़ाहट कान में आने लगी,
छा गया है रंग मधुवन में बसन्ती रूप धर।
दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।
फूलती खेतों में सरसों आम बौराने लगे,
जुगलबन्दी छेड़कर, प्रेमी युगल गाने लगे,
चहकते प्यारे परिन्दे, दुर्ग की दीवार पर।
दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।
दुःख की बदली छँटी, सूरज उगा विश्वास का,
जल रहा दीपक दिलों मे स्नेह ले उल्लास का,
ज्वर चढ़ा, पारा बढ़ा है प्यार के संसार पर।
दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।
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मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014
"दे रहा मधुमास दस्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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प्रकृति का सुन्दर भाव..
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना बुधवार 19/02/2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
वाह बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबंद दरे दिल पर, प्यार की दस्तक |
जवाब देंहटाएंलगता है यार की मिलेगी सोहबत !!
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति...!
जवाब देंहटाएंRECENTPOST- आँसुओं की कीमत.
बहुत सुन्दर .....
जवाब देंहटाएंसुमन पुलकित हो रहा अभिनव नवल शृंगार भर।
जवाब देंहटाएंदे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।
बहुत सुन्दर मुखड़ा है :
सुमन पुलकित हो रहा अभिनव नवल शृंगार भर।
दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।
बहुत सुन्दर मुखड़ा है :
जवाब देंहटाएंसुमन पुलकित हो रहा अभिनव नवल शृंगार भर।
दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।
पूरी रचना लाज़वाब :
फूलती खेतों में सरसों आम बौराने लगे,
जुगलबन्दी छेड़कर, प्रेमी युगल गाने लगे,
चहकते प्यारे परिन्दे, दुर्ग की दीवार पर।
दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।