ब्लॉगर मित्रों!
पिछले 3 वर्षों से मैं उत्तराखण्ड सरकार के राज-काज में काफी व्यस्त रहा। कुछ माह पूर्व आयोग में अपना तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा कर लिया। कुछ फुरसत मिल गयी। मैं अब तक इण्टर-नेट से अनभिज्ञ था। ब्लॉग क्या होता है, यह जानता तक नही था। हाँ कभी टीवी. पर सुना था कि अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में यह.........लिखा है। बाल-साहित्यकार रावेन्द्रकुमार रवि की प्रेरणा से 21 जनवरी, 2009 को अन्तर्-जाल में कदम रखा था। आज मेरा इण्टर-नेट और ब्लॉग-जगत में 60वाँ दिन है। न जाने कैसे ये 60 दिन गुजर गये और 100 प्रविष्ठियाँ लगा दी। इसका मुझे पता ही नही चला। रवि जी ने टिप्पणी द्वारा ही याद दिलाया कि आज आपकी 100 पोस्ट पूरी हो गयी हैं। खैर.... यह भी एक संयोग ही है कि मेरे ब्लॉग को टिपियानेवालों की संख्या भी 100 ही है। जिसकी शरूआत डॉ. सिद्धेश्वर सिंह ने की थी। रावेंद्रकुमार रवि, CABRI , अनिलकान्त, निर्मला कपिला, The Pink Orchid , संगीता पुरी, रंजना (रंजू) भाटिया, अनुनाद सिंह, विनय, श्याम कोरी उदय, अनुज, और परमजीत सिंह बाली, संजय, बदनाम, आकांक्षा, अजित वडनेकर, लाल और बवाल (जुगलबन्दी) मेरे प्रारम्भिक दौर के टिप्पणीकार कहे जा सकते हैं। इसके बाद फरवरी में जिन ब्लॉगर्स का मुझे प्रसाद मिला उनमें किशोर चौधरी, चिराग जैन, स्वप्न, अनिलकान्त सिंह, संदीप शर्मा, अभिषेक, इलेश, अमिताभ श्रीवास्तव, इष्टदेव सांकृत्यायन, अतुल शर्मा, अल्पना वर्मा, मोहिन्दर कुमार, रंजना, मोहन वशिष्ट, मुँहफट,महक, दुर्गा, उड़न-तश्तरी (समीर लाल), योगेन्द्र मौदगिल, आशा जोगलेकर, के.के.यादव, डॉ. प्रेमसागर सिंह, डॉ. चन्द्रकुमार जैन, गिरीश बिल्लौरे मुकुल, हेम पाण्डेय, नीरज गोस्वामी, Mired Mirage, सफात आलम, हरकीरत हकीर, पी.एन.सक्सेना,ताऊ रामपुरिया, बेनाम रामपुरी चाकू , अशोक मधुप, संजीव , प्रेम फर्रूखाबादी, शोभा, सैयद,डॉ.डी.वी.सिंह, डॉ.इन्द्रदेव माहर, अंकित, अंकित शेखर, CREATIVE CONA (हेमन्त कुमार), पी.एन.सुब्रमन्यन, कमलेश जोशी, कामन मैन, हिमांशु, शिखा दीपक, प्राची आदि हैं। 1 मार्च से श्रीमती वन्दना गुप्ता मेरी प्रत्येक प्रविष्टि को टिपियाती रही हैं। इसके बाद से आज तक द्विज, महक, पारुल, नीशू, रंजना, आवारा प्रेमी, पंकज व्यास, शारदा अरोरा, निन्दक प्यारा, हंगामा देव, महेन्द्र मिश्र, भारतीय नागरिक, सुमित प्रताप सिंह, युवा, केशव, मनविन्दर भिम्बर, सुधीर चौधरी , गगन शर्मा-कुछ अलग सा, प्रवीण त्रिवेदी, योगेश समदर्शी, मुफलिस, स्मार्ट इण्डियन, भूतनाथ, गेंदालाल शर्मा निर्जन, अरविन्द कुमार, प्रकाश बादल, विक्रान्त बेशर्मा, चन्दन चौहान, सतपाल बत्रा, देवदत्त प्रसून, डॉ. भावना, सरिता, पी.डी.शर्मा वत्स आदि ने मेरा समय-समय पर उत्साह-वर्धन किया है। दो माह के छोटे से इस सफर में आप सभी ने मुझे भरपूर प्रोत्साहन दिया। आप सभी का मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। मानवता के वत्स रचो, अब एक नया संसार। पार करें भवसागर को, ले प्रेम-प्रीत पतवार।।
करो सुधा का पान, किन्तु विष भी पीना ही होगा, चन्दन तरु को सदा, ब्याल के संग जीना ही होगा, वैर-वितण्डा मत करना, जीवन के दिन हैं चार। पार करें भवसागर को, ले प्रेम-प्रीत पतवार।।
सुमन तुम्हें कुछ चुभन, कण्टकों की भी सहनी होगी, जल की धारा पाषाणों के, उर से ही बहनी होगी। मिल-जुल कर ही रहें प्रेम से, करें मधुर व्यवहार। पार करें भवसागर को, ले प्रेम-प्रीत पतवार।।
गुलशन में गुड़हल, गेन्दा, और लाल गुलाब खिले हैं। मनमोहक छवि न्यारी सबकी, फिर भी हिले-मिले हैं। सदा चलें हम साथ सभी के, ले आदर्श विचार। पार करें भवसागर को ले प्रेम-प्रीत पतवार।।
मौसम के काले कुहरे को, जीवन में मत छाने दो। सुख-सपनों में कभी नही, इसको कुहराम मचाने दो। ज्ञान-दीप को कर में लेकर, करें दूर अंधकार। पार करें भवसागर को, ले प्रेम-प्रीत पतवार।।
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