फैला उजियारा आँगन में।।
काँधे पर हल धरे किसान।
मेहनत से अनाज उपजाता।
यह जग का है जीवन दाता।।
खून-पसीना बहा रहा है।
स्वेद-कणों से नहा रहा है।।
जीवन भर करता है काम।
लेता नही कभी विश्राम।।
चाहे सूर्य अगन बरसाये।
चाहे घटा गगन में छाये।।
यह श्रम में संलग्न हो रहा।
अपनी धुन में मग्न हो रहा।।
मत कहना इसको इन्सान।
यह धरती का है भगवान।।
हे ग्राम देवता नमस्कार
जवाब देंहटाएंसोने चांदी से नहीं किन्तु
तुमने मिटटी से किया प्यार ( डा.रामकुमार वर्मा )
sundar rachna ke liya badhayi
मत कहना इसको इन्सान।
जवाब देंहटाएंयह धरती का है भगवान।।
jee bilkul sahi....
bahut hi sunder rachna....
आपको और ' धरती के भगवान् ' दोनों को शत शत प्रणाम !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब शःस्त्री जी ;
जवाब देंहटाएंइस जग का अन्नदाता है यह, कोई दूजा नहीं
मगर हम स्वार्थी इंसानों ने कभी इसे पूजा नहीं
Kisan..ek naam jo khud tap kar hamen bhojan deta hai..bahut badhiya kavita..shastri ji dhanywaad is sundar kavita ko prstut karane ke liye..
जवाब देंहटाएंसूरज चमका नील-गगन में।
जवाब देंहटाएंफैला उजियारा आँगन में।।
काँधे पर हल धरे किसान।
करता खेतों को प्रस्थान।।
मेहनत से अनाज उपजाता।
यह जग का है जीवन दाता।।
वाह ,शास्त्री जी सही कहा है आपने
सच है. भगवान समान ही है,किसान.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आप ने एक किसान ही धरती का भगवान है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
साधु साधु
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी कविता किसान की............................
अभिनन्दन !
वाह वाह..बहुत ही सदविचार इस कविता के माध्यम से रखे आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अत्यंत सुंदर रचना और साथ में बहुत अच्छी तस्वीर!
जवाब देंहटाएंजीवन भर करता है काम।
जवाब देंहटाएंलेता नही कभी विश्राम।।.....sahi kaha apne...
बिलकुल सही कहा आपने....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
बहुत अच्छी रचना है .. बधाई !!
जवाब देंहटाएंमत कहना इसको इन्सान।
जवाब देंहटाएंयह धरती का है भगवान।।
बहुत सही ...कलियुग में भगवान होने से बढ़कर दुःख भी नहीं है कोई ...!!
मत कहना इसको इन्सान।
जवाब देंहटाएंयह धरती का है भगवान....
जय जवान जय किसान .......... सच लिखा है .... सुन्दर रचना है ...........
waah waah ...........bahut hi sundar kavita likhi hai........badhayi
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