जग को राह दिखाओगे कब
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करना है उपकार वतन पर संयम रखना अपने मन पर कभी मैल मत रखना तन पर संकट दूर भगाओगे कब नियमों को अपनाओगे कब --
अभिनव कोई गीत बनाओ,
सारी दुनिया को समझाओ
स्नेह-सुधा की धार बहाओ
वसुधा को सरसाओगे कब
जग को राह दिखाओगे कब
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सुस्ती-आलस दूर भगा दो
देशप्रेम की अलख जगा दो
श्रम करने की ललक लगा दो
नवअंकुर उपजाओगे कब
जग को राह दिखाओगे कब
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देवताओं के परिवारों से
ऊबड़-खाबड़ गलियारों से
पर्वत के शीतल धारों से
नूतन गंगा लाओगे कब
जग को राह दिखाओगे कब
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सही दिशा दुनिया को देना
अपनी कलम न रुकने देना
भाल न अपना झुकने देना
सच्चे कवि कहलाओगे कब
जग को राह दिखाओगे तब
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गुरुवार, 26 मार्च 2020
गीत "नियमों को अपनाओगे कब" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अपनी कलम न रुकने देना
जवाब देंहटाएंभाल न अपना झुकने देना
सच्चे कवि कहलाओगे कब
जग को राह दिखाओगे तब
-- सार्थक और सटीक सृजन 🙏
"सही दिशा दुनिया को देना
जवाब देंहटाएंअपनी कलम न रुकने देना
भाल न अपना झुकने देना
सच्चे कवि कहलाओगे कब
जग को राह दिखाओगे तब"
वाह आदरणीय सर बेहद उम्दा 👌
बहुत सुंदर ! प्रेरणा जगाती रचना !
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (27-03-2020) को नियमों को निभाओगे कब ( चर्चाअंक - 3653) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
आँचल पाण्डेय
बहुत सुंदर प्रेरणा देती रचना ,सादर नमन सर
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं