मौसम
कितना हुआ सुहाना।
रंग-बिरंगे
सुमन सुहाते।
सरसों
ने पहना पीताम्बर,
गेहूँ
के बिरुए लहराते।।
--
दिवस
बढ़े हैं शीत घटा है,
नभ
से कुहरा-धुंध छटा है,
पक्षी
कलरव राग सुनाते।
गेहूँ
के बिरुए लहराते।।
--
काँधों
पर काँवड़ें सजी हैं,
बम
भोले की धूम मची है,
शिवशंकर
को सभी रिझाते।
गेहूँ
के बिरुए लहराते।।
--
तन-मन
में मस्ती छाई है,
अपनी
बेरी गदराई है,
सभी
झूमकर हँसते गाते।
गेहूँ
के बिरुए लहराते।।
--
निर्मल
है नदियों का पानी,
पेड़ों
पर छा गई जवानी,
खुश
हो करके ये इठलाते।
गेहूँ
के बिरुए लहराते।।
--
बच्चों
अब मत समय गँवाओ,
पढ़ने
में भी ध्यान लगाओ,
सीख
काम की हम सिखलाते।
गेहूँ
के बिरुए लहराते।।
--
प्रतिदिन
पुस्तक को दुहराओ,
पास
परीक्षा में हो जाओ,
श्रम
से सभी सफलता पाते।
गेहूँ
के बिरुए लहराते।।
|
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बुधवार, 4 मार्च 2020
बालगीत "श्रम से सभी सफलता पाते" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर.. प्रकृति की मंजुलता और शिक्षा की
जवाब देंहटाएंसीख । लाजवाब सृजन आदरणीय । बहुत बहुत बधाई
गीत प्रकाशित होने के लिए ।
बहुत सुन्दर बाल रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 05.03.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3631 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क