कोरोना के
रोग से, जूझ रहा है देश।
अगर
सुरक्षित आप हैं, बचा रहेगा देश।।
आवश्यकता
से अधिक. करना नहीं निवेश।
हम सबके
सहयोग से, सुधरेगा परिवेश।।
कमी नहीं
कुछ देश में, सुलभ सभी हैं चीज।
मगर नहीं
लाँघो अभी, निज घर की दहलीज।।
विपदा के इस
काल में, शासन है तैयार।
हर घर पर
सामान को, भेजेगी सरकार।।
साबुन से धो
लीजिए, हर घण्टे निज हाथ।
तुलसी और
गिलोय का, पीना प्रतिदिन क्वाथ।।
साथ-साथ
मिलकर नहीं, करना क्रिया कलाप।
कोरोना के
दैत्य को, हरा दीजिए आप।।
नकारात्मक
सोच से, नहीं चलेगा काम।
अफवाहों को
दीजिए, पूरा आज विराम।।
अपने भारत
में रहें, सारे लोग निरोग।
हर हालत
में कीजिए, शासन का सहयोग।।
|
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शुक्रवार, 27 मार्च 2020
दोहे "कोरोना के रोग से, जूझ रहा है देश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अपने भारत में रहें, सारे लोग निरोग।
जवाब देंहटाएंहर हालत में कीजिए, शासन का सहयोग।।
अति उत्तम संदेश आदरणीय ।
ऐसे संकट के समय में भी कुछ नासमझ विपदा बढ़ाने का, जाने-अनजाने कारण बन रहे हैं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक कीचर्चा शनिवार(२८-०३-२०२०) को "विश्व रंगमंच दिवस-रंग-मंच है जिन्दगी"( चर्चाअंक -३६५४) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सटीक और सामयिक रचना
जवाब देंहटाएं