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शनिवार, 29 दिसंबर 2012
"देश की बेटी दामिनी" (भावभीनी श्रद्धांजलि!)
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बिलकुल ठीक कहा आपने .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट; निर्भय (दामिनी )को श्रद्धांजलि
सो गई स्वयं मगर, देश को जगा गई
जवाब देंहटाएंलड़ते-लड़ते मौत से, हार गई ज़िन्दग़ी
आह ही निकलेगी इस कहानी के यूं खत्म होने पर
आज सुबह पहली खबर यही सुनी। तब से ही दिमाग बड़ा अफसेट हैं। बहुत गलत हुआ इस लड़की दर्द सारा देश महसूस कर रहा है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेटी दामिनी
जवाब देंहटाएंहम तुम्हें मरने न देंगे
जब तलक जिंदा कलम है
देश की बेटी दामिनी को
जवाब देंहटाएंभावभीनी श्रद्धांजलि!...
दामिनी को भावभीनी श्रद्धांजलि!...
जवाब देंहटाएंजाते-जाते देश को जगा गई....
जवाब देंहटाएंबहुत गलत हुआ**** सो गई स्वयं मगर, देश को जगा गई
जवाब देंहटाएंलड़ते-लड़ते मौत से, हार गई ज़िन्दग़ी
दामिनी के वास्ते, दुआ न काम आ सकीं
लड़ते-लड़ते मौत से, हार गई ज़िन्दग़ी ****भावभीनी श्रद्धांजलि
शानदार अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंजारी रहिये,
बधाई।
"सो गई स्वयं मगर, देश को जगा गई"
जवाब देंहटाएंस्थायी हो यह जागृति! विनम्र श्रद्धांजलि!
विनम्र श्रद्धांजलि! सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जवाब देंहटाएंभावनाओं को उद्वेलित करती भावात्मक प्रस्तुति भारत सरकार को देश व्यवस्थित करना होगा .
जवाब देंहटाएंदामिनी के इस बलिदान में ही उसकी जीत छिपी है ! उसकी घायल देह मौत से ज़रूर हार गयी लेकिन उसकी आत्मा करोड़ों नारियों की प्रेरणा बन कर उनकी संकल्प शक्ति में सदैव जीवित रहेगी ! दामिनी को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि ! रचना बहुत मार्मिक है ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंआपकी सद्य टिप्पणियों का शुक्रिया .आदरणीय भाव रखेंगे सभी महिलामात्र के प्रति यही इस बरस का शुभ सामूहिक संकल्प होना चाहिए .आभार .
जवाब देंहटाएंदामिनी को भावभीनी
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि!
क्या करे सिस्टम ही ऐँसा हैँ एक काम कर सकते हो और हैँ अंत मेँ अफसोस ।
जवाब देंहटाएंki मारने वाला जिँदा हैँ और दामिनी ने दम तोड दिया उन हरामखोर को साँस लेने का हक नही कब तक बचेँगा उसकी साँसे जिसपर उसका हक नही ।
हटाएंबहुत भारी मन से विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और मार्मिक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंजीवन जीना सिखलायेगा यह बलिदान..
जवाब देंहटाएं