"देख तमाशा होली का"
अचानक कुछ पंक्तियाँ बन गई हैं
आप भी इनका आनन्द लीजिए!
मस्त फुहारें लेकर आया,
मौसम हँसी-ठिठोली का।
देख तमाशा होली का।।
उड़ रहे पीले-हरे गुलाल,
हुआ है धरती-अम्बर लाल,
भरे गुझिया-मठरी के थाल,
चमकते रंग-बिरंगे गाल,
गोप-गोपियाँ खेल रहे हैं,
खेला आँख-मिचौली का।
देख तमाशा होली का।।
पिचकारी बच्चों के कर में,
हुल्लड़ मचा हुआ घर-घर में,
हुलियारे हैं गली-डगर में,
प्यार बसा हर जिगर-नजर में,
चारों ओर नजारा पसरा,
फागुन की रंगोली का।
देख तमाशा होली का।।
डाली-डाली है गदराई,
बागों में छाई अमराई,
गुलशन में कलियाँ मुस्काई,
रंग-बिरंगी तितली आई,
कानों को अच्छा लगता सुर,
कोयलिया की बोली का।
देख तमाशा होली का।।
गीत प्यार का आओ गाएँ,
मीत हमारे सब बन जाएँ,
बैर-भाव को दूर भगाएँ,
मिल-जुलकर त्यौहार मनाएँ,
साथ सुहाना मिले सभी को,
होली में हमजोली का।
देख तमाशा होली का।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 26 मार्च 2013
"देख तमाशा होली का" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
होली की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंदेख तमाशा होली का...कई रंग है होली के इसमें सजे..बहुत सुंदर लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया होली
जवाब देंहटाएंहोली के रंग बिखर गये सब ओर !
जवाब देंहटाएंholi ki hardik shubhkamnayen,sundar geet, sir jiगीत प्यार का आओ गाएँ,
जवाब देंहटाएंमीत हमारे सब बन जाएँ,
बैर-भाव को दूर भगाएँ,
मिल-जुलकर त्यौहार मनाएँ,
साथ सुहाना मिले सभी को,
होली में हमजोली का।
देख तमाशा होली का।।
आनन्द मनाने का समय है होली।
जवाब देंहटाएं