खुलकर फिर से घाम खिला है।
सर्दी
से आराम मिला है।।
बादल-बदली
नहीं गगन में,
धूप
गुनगुनी है आँगन में,
चिड़िया
निकलीं चुगने दाने,
मज़दूरों
को काम मिला है।
सर्दी
से आराम मिला है।।
ठिठुरन
भागी, कुहरा भागा,
आसमान
में सूरज जागा,
बहुत
दिनों के बाद आज फिर,
तन
को सुख का धाम मिला है।
सर्दी
से आराम मिला है।।
थोड़ा
सा दिनमान बढ़ा है,
यौवन
पर उन्माद चढ़ा है,
सम्बन्धों
के अनुबन्धों को,
मौसम
ललित-ललाम मिला है।
सर्दी
से आराम मिला है।।
|
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सोमवार, 20 जनवरी 2014
"सर्दी से आराम मिला है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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लेकिन आज भी बहुत ठंड है ....ना धूप, ना खिला सा दिन मिला
जवाब देंहटाएंमोसम के अनुरूप कविता .... गुनगुनी धूप में . ..खिला -२ दिन ....सुंदर ....
जवाब देंहटाएंठण्ड में आँगन में गुनगुनी धूप का क्या कहने!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता
बधाई हो...यहाँ प्लेन में तो ठण्ड का कहर जारी है...
जवाब देंहटाएंaajkal to dhoop se hi aaram mil raha hai ..sardi ne to dam nikal diya hai ...
जवाब देंहटाएंसर्दियों के मौसम में गुनगुनी धुप का आनंद ही कुछ और है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
बहुत खूब पर यहाँ बर्फबारी के बाद देर से आयी बिजली कोई काम नहीं हुआ है :(
जवाब देंहटाएंसर्दियों के मौसम में हल्की धुप कि तो बात ही अलग है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
:-)
अभी भी बहुत ठण्ड है ..थोडा राहत जरुर है ! कविता अच्छी है
जवाब देंहटाएंसुबह - सुबह की की बात निराली
जवाब देंहटाएंरखी बगल में चाय की प्याली
अच्छी इक कविता पढ़ने का मुझको यह ईनाम मिला है ..
कभी कंपन लगती थी, आज गुनगुनी लगती है धूप।
जवाब देंहटाएंसर्दी की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंकोहरा पहने ऋतु चढ़ी मौसम का दरबार
नया साल कहने लगा आदाब'र्ज सरकार
sardi se aisa hi aaram jald milega ki aas jaga di is rachna ne ..sundar abhivyakti ..
जवाब देंहटाएंआप की इस कुनकुनी कविता ने ठिठुरती ठंड में राहत दे दी है,धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं