टेसू के पेड़ पर अब,
कलियाँ दहक रहीं हैं।
मधुमास आ गया है,
चिड़ियाँ चहक रहीं हैं।
सरसों के खेत में भी,
पीले सुमन खिले हैं।
आने लगे चमन में,
भँवरों के काफिले हैं।
मादक सुगन्ध से अब,
गलियाँ महक रहीं है।
सेमल की शाख पर भी,
फूलों में लालियाँ हैं।
गेहूँ ने धार ली अब,
गहनों की बालियाँ हैं।
मस्ती में झूमकर ये,
कैसे लहक रही हैं।
जोड़े नये नवेले,
अनुराग से भरे हैं।
मौसम बसन्त का है,
मन फाग से भरे हैं।
पथ हैं वही पुराने,
मंजिल बहक रही हैं।
तिनके बटोरने में,
तल्लीन हैं परिन्दे।
खुशियों को रौंदते हैं,
लेकिन कुटिल दरिन्दे।
आहत बहुत चिरैया,
लेकिन चहक रही हैं।
|
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गुरुवार, 30 जनवरी 2014
"मधुमास आ गया है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुंदर...अति सुंदर चित्रण...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
टेसू के पेड़ पर अब,
जवाब देंहटाएंकलियाँ दहक रहीं हैं।
मधुमास आ गया है,
चिड़ियाँ चहक रहीं हैं।
बहुत सुन्दर सांगीतिक पंक्तियाँ हैं।
टेसू के पेड़ पर अब,
जवाब देंहटाएंकलियाँ दहक रहीं हैं।
मधुमास आ गया है,
चिड़ियाँ चहक रहीं हैं।
बहुत सुन्दर सांगीतिक पंक्तियाँ हैं।
आहत बहुत चिरैया लेकिन चहक रही है।
हर एक शब्द बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबासंती आगमन का बहुत सुन्दर मधुमय चित्रण....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंकविगण बहक रहे हैं, मधुमास आ गया है. सुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंप्रकृति ने परिवर्तन के हरकारे भेज दिये हैं।
जवाब देंहटाएंवसंत के स्वागत में बहुत सुंदर रचना लिपिबद्ध की है ! हर दृश्य आँखों के आगे साकार हो गया !
जवाब देंहटाएंnamaste shashtri ji ,
जवाब देंहटाएंbahut sundar get hai , hardik badhai padhkar anad aa gaya sach me madhumaas aa gaya
mnmohak rachna .....
जवाब देंहटाएंSundar abhivyakti
जवाब देंहटाएंAti uttam
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