मित्रों आज प्रस्तुत है
एक पुराना
देशभक्ति गीत
जिसे स्वर दिया है मेरी मुँहबोली भतीजी
अर्चना चावजी ने
"मुस्कराता हुआ
वो वतन चाहिए"
मन-सुमन हों खिले, उर
से उर हों मिले,
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।
ज्ञान-गंगा बहे, शन्ति
और सुख रहे-
मुस्कराता हुआ वो वतन चाहिए।१।
दीप आशाओं के हर कुटी में जलें,
राम-लछमन से बालक, घरों
में पलें,
प्यार ही प्यार हो, प्रीत-मनुहार
हो-
देश में सब जगह अब अमन चाहिए।
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।२।
छेनियों और हथौड़ों की झनकार हो,
श्रम-श्रजन-स्नेह दें, ऐसे
परिवार हों,
खेत, उपवन
सदा सींचती ही रहे-
ऐसी दरिया-ए गंग-औ-जमुन चाहिए।
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।३।
आदमी से न इनसानियत दूर हो,
पुष्प, कलिका
सुगन्धों से भरपूर हो,
साज सुन्दर सजें, एकता
से बजें,
चेतना से भरे, मन-औ-तन
चाहिए।
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।४।
|
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शुक्रवार, 14 अगस्त 2015
देशभक्तिगीत "लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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