जन्म जगत में पाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।
मोती लाल पिता बैरिस्टर,
माता थी स्वरूप रानी।
छोड़ सभी आराम-ऐश को,
राह चुनी थी बेगानी।।
त्याग वकालत को नेहरू ने,
गांधी का पथ अपनाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।
आजादी पाने की खातिर,
वीरों ने बलिदान दिया।
अमर सपूतों ने पग-पग पर ,
अपमानों का पान किया।
दमन चक्र से जो गोरों के,
कभी नहीं घबराया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।
दागे नहीं तोप से गोले,
ना बरछी तलवार उठायी।
सत्य-अहिंसा के बल पर,
खोई आजादी पायी।
अनशन करके, अंग्रेजों से,
शासन वापिस पाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।
बच्चों को जो सदा प्यार से,
हँसकर गले लगाता था।
इसीलिए तो लाल जवाहर,
चाचा जी कहलाता था।
अपने जन्मदिवस को जिसने,
बालकदिवस बनाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।
शासक था स्वदेश का पहला,
अपना प्यारा चाचा।
नवभारत के निर्माता का,
मन था सीधा-साचा।
उद्योगों का जिसने,
चौबिस घंटे चक्र चलाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।
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मंगलवार, 13 नवंबर 2018
"बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू को शत्-शत् नमन!"
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (14-11-2018) को "बालगीत और बालकविता में भेद" (चर्चा अंक-3155) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी