नया वर्ष स्वागत करता है ,
पहन नया परिधान।
सारे जग से न्यारा अपना,
है गणतंत्र महान ॥
ज्ञान गंग की बहती धारा , चन्दा , सूरज से उजियारा। आन -बान और शान हमारी, संविधान हम सबको प्यारा । प्रजातंत्र पर भारत वाले,
करते हैं अभिमान ।
सारे जग से न्यारा अपना,
है गणतंत्र महान॥
शीश मुकुट हिमवान अचल है , सुंदर -सुंदर ताजमहल है। गंगा - यमुना और सरयू का, पग पखारता पावन जल है । प्राणों से भी मूल्यवान है,
हमको हिन्दुस्तान ।
सारे जग से न्यारा अपना,
है गणतंत्र महान॥
स्वर भर कर इतिहास सुनाता , महापुरुषों से इसका नाता। गौतम, गांधी, दयानंद की, प्यारी धरती भारतमाता । यहाँ हुए हैं पैदा नानक,
राम, कृष्ण,भगवान।
सारे जग से न्यारा अपना,
है गणतंत्र महान॥
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मंगलवार, 24 जनवरी 2017
गीत "गणतंत्र महान" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बढ़िया
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति की लिंक 26-01-2017को चर्चा मंच पर चर्चा - 2585 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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