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जनता है इक काठ का उल्लू यही हम मानते है,
जवाब देंहटाएंअपने भाई बंधु को ही हम सभी पहचानते है.
हम तो नेता हैं फकत जूतें ही खाना जानते हैं।।
बढ़िया व्यंग..बधाई..
बिल्कुल सही बात पर आपने व्यंग्य किया है! हाल ही में सिर्फ़ जॉर्ज बुश पर ही नहीं बल्कि चिदाम्बरम जी पर भी जूते से हमले किए गए थे! "हम तो नेता हैं फकत जूतें ही खाना जानते हैं" ये सौ फीसदी सच्चाई है! बेहतरीन रचना !
जवाब देंहटाएंदाँत खाने के अलग हैं और दिखाने के अलग
जवाब देंहटाएंथूक आँखों में लगा आँसू बहाना जानते हैं।
हम तो नेता हैं फकत जूतें ही खाना जानते हैं।।
क्या सटीक अभिवयक्ति है बधाई
काम कुछ करते नही बातें बनाना जानते हैं।
जवाब देंहटाएंहम तो नेता हैं फकत जूतें ही खाना जानते हैं।।
sahee baat
वाह
जवाब देंहटाएंवाह
शास्त्रीजी वाह !
वे खाना जानते हैं तो अपन खिलाना जानते हैं
हुनर अपना ख़ूब हम भी आज़माना जानते हैं
हा हा हा हा
बधाई............अच्छी रचना के लिए !
वाह शास्त्री जी बहुत खुब, आपने तो तोङे मे ही सच्चाई को उकेर दिया। बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्रीजी वाह !एक अच्छी कब्बाली
जवाब देंहटाएंwaah waah shastri ji aaj to kamaal kar diya........netaon ka sajeev aur satik chitran kar diya..........vaise aise hi joote marte rahiye.........magar asar nhi hone wala aakhir neta jo thahre.
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं खरी-खरी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग..बधाई|
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग्य .
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई .
आज तो भिगो कर मारा शाष्त्रीजी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अरे क्या कमाल की खिंचाई की है आपने..
जवाब देंहटाएंकमाल का व्यंग्य कसा है आपने.. हैपी ब्लॉगिंग
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक व्यंग्य सर. आभार
जवाब देंहटाएंआप भी, गजब ही करते हैं।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
vवाह मयंक जी खूब अच्छी सुनाई आपने भिगो भिगो कर मारे हैं जूते बधाई
जवाब देंहटाएंब्लॉगर्स मित्रों!
जवाब देंहटाएंसाधारण व्यक्ति हूँ, इसलिए तुकबन्दियों में साधारण
शब्दों का ही प्रयोग करता हूँ।
आप सबकी स्नेहसिक्त टिप्पणियों का आभारी हूँ।
बिल्कुल सटीक !!
जवाब देंहटाएंbahut khoob.
जवाब देंहटाएंbahut karari chot. dhansoo rachna. badhai.
वाह शास्त्री जी वाह,
जवाब देंहटाएंपर हम तो सुने हैं कि आप भी खटिमा के बड़े नेताओं में शुमार होते हो...
बहुत ही कमाल का व्यंग है.
जवाब देंहटाएंहम तो नेता हैं फकत जूतें ही खाना जानते हैं।।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया व्यंग्य है डाक्टसा...
ये जूते का प्रसंग अचानक सूझा या भाजपा में चल रही जूतमपैजार से कुछ प्रेरणा मिली ?
इशाअल्लाह सबकी मुरादें पूरी होंगी।
जवाब देंहटाएंक्या खूबसूरती से इनकी चाहतों पर प्रकाश डाला है..!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ..!!
NETAON KI AAM JANATA KI NAJAR MEN SAHI TASVEER DIKHATI RACHANA,
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