जमाना है तो हम-तुम हैं, जमाना तो जमाना है। यहीं पर हर बशर को, भाग्य अपना आजमाना है।। कहीं रातें उजाली हैं, दिवस में भी अन्धेरा है, खुले जब आँख तो समझो, तभी आया सवेरा है, परिन्दे को बहुत प्यारा, उसी का आशियाना है। यहीं पर हर बशर को, भाग्य अपना आजमाना है।। अगर है प्यार दोजख़ में, तो जन्नत की जरूरत क्या? बिना माँगे मिले जब सब, तो मन्नत की जरूरत क्या? मुहब्बत की नई राहों को, दुनिया को दिखाना है। यही पर हर बशर को, भाग्य अपना आजमाना है।। जो अपने दिल की यादों को बगीचों में सजाते हैं, नियम से पेड़-पौधों को जो उपवन में उगाते है, खुशी से हर कली को फूल बनकर मुस्कराना है। यहीं पर हर बशर को, भाग्य अपना आजमाना है।। कुटिलता की कहानी को हमें कहना नही आता, हमें अन्याय-अत्याचार को सहना नही आता, यही सन्देश दुनिया भर को गा करके सुनाना है। यहीं पर हर बशर को, भाग्य अपना आजमाना है।। जिन्हें अपना फटा दामन कभी सीना नही आया, सलीके से सुखी होकर जिन्हें जीना नही आया, उन्हें सदभावना का मन्त्र हमको ही सिखाना है। यहीं पर हर बशर को, भाग्य अपना आजमाना है।। जिन्हें बढ़ने की आदत है, उन्हे रुकना नही आता, जिन्हें लड़ने की आदत है, उन्हें झुकना नही आता, पड़ोसी से पड़ोसी का, हमें रिश्ता निभाना है। यहीं पर हर बशर को, भाग्य अपना आजमाना है।। |
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बुधवार, 19 अगस्त 2009
‘‘पड़ोसी से पड़ोसी का, हमें रिश्ता निभाना है’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत बेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जिन्हें बढ़ने की आदत है, उन्हे रुकना नही आता,
जवाब देंहटाएंजिन्हें लड़ने की आदत है, उन्हें झुकना नही आता,
अच्छी अभिव्यक्ति प्रदान की कविता मे. सार्थक सोच की कविता
शानदार अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर रचना ..!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना! बहुत अच्छा लगा पड़कर!
जवाब देंहटाएंanand aagayaji..........
जवाब देंहटाएंbadhai !
अच्छी रचना की तारीफ़ करने की हमे भी आदत है,
जवाब देंहटाएंऔर करेंगे भी,ऐसा किये बिना मज़ा भी नही आता है।
बहुत सुंदर लगा! पढ़कर बहत आनंद मिला!
जवाब देंहटाएंमयंक जी लाजवाब रचना है हैरान हूँ कि इतनी जल्दी इतनी बढिया रचना कैसे लिख लेते हैं जिन्हें बढ़ने की आदत है, उन्हे रुकना नही आता,
जवाब देंहटाएंजिन्हें लड़ने की आदत है, उन्हें झुकना नही आता,
लाजवाब बधाई
bahut hi shandar bahvpoorna lajawaab rachna hai..........badhayi.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनात्मक गीत
जवाब देंहटाएं---
मानव मस्तिष्क पढ़ना संभव
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं'जिन्हें बढ़ने की आदत है, उन्हे रुकना नही आता,
जवाब देंहटाएंजिन्हें लड़ने की आदत है, उन्हें झुकना नही आता,'
-यह बुलंद हौसला पसंद आया.
'पड़ोसी से पड़ोसी का, हमें रिश्ता निभाना है।'
- यह रिश्ता दोतरफा होना चाहिए, अलबता एक कुछ अधिक दरिया दिल हो सकता है, लेकिन एक सीमा तक ही.
अति सुंदर।
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
अतिसुन्दर.....
जवाब देंहटाएंकहीं रातें उजाली हैं, दिवस में भी अन्धेरा है,
जवाब देंहटाएंखुले जब आँख तो समझो, तभी आया सवेरा है
सच कहा ... जब nend khule tabhi saveraa ........... लाजवाब लिखा है
बेहतरीन रचना,,, बधाई
जवाब देंहटाएं