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मंगलवार, 4 अगस्त 2009
‘‘हाइकू’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंलैला तो एक है,
जवाब देंहटाएंपागल हुए घूम रहे,
मजनूँ अनेक हैं,
waah.. too good...!
एक ही अनार है,
जवाब देंहटाएंखाने को हो रहे उतावले,
सैकड़ों बीमार हैं,
देश की भी आज येही हालत है |हर नेता देश को अपनी निजी संम्पत्ति मान उसका उपभोग करने में लगा हुआ है |
बहुत बढिया...हाइकू का अलग ही मिज़ाज़ और मज़ा है.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी , यह हाईकू नहीं बल्कि क्षणिकाएँ है. शीर्षक संशोधित कर लीजिये.
जवाब देंहटाएंmajaa aa gaya bahu t hi sundar baat kari hai ......jabaab nahi hai .....atisundar
जवाब देंहटाएंTEENO HI haikoo
जवाब देंहटाएंDIL KO CHHO LENE WALE HAIN.
BADHAYEE.
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंप्रताप नारायण सिंह जी।
जवाब देंहटाएंमर्यादा तो हाइकू की ही निभाई है।
शीर्षक तो बदल ही दूँगा परन्तु
हाइकू की परिभाषा तो बता दें।
यह त्रिवेणियाँ भी ख़ूब रही हैं
जवाब देंहटाएं---
1. चाँद, बादल और शाम
2. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
वाह बहुत खूब लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनायें.
जवाब देंहटाएंगुलमोहर का फूल
हाइकू बहुत ही अच्छे लगे, क्या यह और त्रिवेणियां एक ही चीज हैं.
जवाब देंहटाएंलैला तो एक है,
जवाब देंहटाएंपागल हुए घूम रहे,
मजनूँ अनेक हैं,
waah bahut khub.
haiku ka ek niyam hai ke first line mein sirf 5 shabd ho,second line mein 7sgabd ho aur third line mien phir se 5 shabd ho.
महक जी!
जवाब देंहटाएंजहाँ तक मेरा अनुमान है, हाइकू की पहली पंक्ति में 5 से 9 तक अक्षर हो सकते हैं, दूसरी में 7 से 12 तक अक्षर तथा तीसरी पंक्ति में 5 से 9 तक अक्षर हो सकते हैं।
इससे अधिक मैं जानता नही हूँ।
शाश्त्रीजी जो भी हो पर आज तो आपने चाल्हे पाड दिये.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ये त्रिवेणी हो या हाइकु ...बहुत ही अच्छा है.
जवाब देंहटाएंहायकू जैसे ही हैं और खूब जमें हैं। जय हो।
जवाब देंहटाएंshukriya batane ke liye,hame bhi jyada kuch nahi pata,bas o kahi padha tha likhe diye.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया! हाइकु अक्सर सुनने को मिलता है और आपने बहुत सुंदर रचना लिखा है!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया!!
जवाब देंहटाएं