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जवाब देंहटाएंजो घमंडी है उनका हे होता है पतन... वाह बहुत खूब !
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंघास कोमल है लहरा रही शान से,
जवाब देंहटाएंसबको देती सलामी बड़े मान से,
आँधी तूफान में भी सलामत है तन।
जो घमण्डी हैं उनका ही होता पतन।
बहुत खूबसूरत कविता...भाव भी अच्छे हैं
mayमंक जी बिलकुल सची बात कही आपकी सीख याद रखने वाली है बधाई आभार्
जवाब देंहटाएंघास कोमल है लहरा रही शान से,
जवाब देंहटाएंसबको देती सलामी बड़े मान से,
सही कहा है कोमलता ही तो है जो समय के प्रहार को आसानी से सह लेती है.
बहुत सुन्दर
bahut hi sundar vichaar!
जवाब देंहटाएंjo komal hain saral hain un sabko mera naman.
jo dambhi hain ghamandi hain hoga unka patan.
बहुत-बहुत सुन्दर रचना है
जवाब देंहटाएं---
· चाँद, बादल और शाम
क्या ग़ज़ब का भाव है,,
जवाब देंहटाएंशब्दों का सुंदर प्रयोग,
कविता देती है संदेश,
करो विनम्रता का उपयोग..
अगर घमण्ड का लग गया रोग.
समझो निश्चित पतन आपकी..
सुंदर वाणी सबसे बोलो..
सुखमय होगी जीवन आपकी..
bahut hi sundar vichaar!
जवाब देंहटाएंjo komal hain saral hain un sabko mera naman.
jo dambhi hain ghamandi hain hoga unka patan.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar vichaar!
जवाब देंहटाएंjo komal hain saral hain un sabko mera naman.
jo dambhi hain ghamandi hain hoga unka patan.
vakai ghamand buri baat hai
जवाब देंहटाएंसच को बयान करती आपकी लाजवाब रचना.......... शास्त्री जी..आपकी हर रचन कुछ न कुछ सन्देश देती है.........जो कमाल की बात है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रचना लिखी है।बधाई।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट पढ़कर राहत इंदौरी साहब का एक शे'र यद आया है -
जवाब देंहटाएंहवा मगरूर दरख्तों को पटक जएगी.
बचेगी शाख वही जो कि लचक जाएगी.
सत्य वचन शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंफलों से लदा वृक्ष ही झुका होता है। विनम्रता भी शिक्षा और संस्कार के फलों से लदने पर ही आती है।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता... साधुवाद।
bahut hi shikshaprad kavita .........gahre bhavon se pariporna.
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने पतन उसका ही होता है जो घमंडी होता है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही फ़रमाया आपने ! सच्चाई का बयान किया है ! मुझे तो घमंडी लोगों से सख्त नफरत है !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना.आभार.
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