खटीमा में बाढ़ के ताज़ा हालात के लिए लिंक http://uchcharandangal.blogspot.com/2009/08/blog-post_17.html जब सूखे थे खेत-बाग-वन, तब रूठी थी बरखा-रानी। अब बरसी तो इतनी बरसी, घर में पानी, बाहर पानी।। बारिश से सबके मन ऊबे, धानों के बिरुए सब डूबे, अब तो थम जाओ महारानी। घर में पानी, बाहर पानी।। दूकानों के द्वार बन्द हैं, शिक्षा के आगार बन्द है, राहें लगती हैं अनजानी। घर में पानी, बाहर पानी।। गैस बिना चूल्हा है सूना, दूध बिना रोता है मुन्ना, भूखी हैं दादी और नानी। घर में पानी, बाहर पानी।। बाढ़ हो गयी है दुखदायी, नगर-गाँव में मची तबाही, वर्षा क्या तुमने है ठानी। घर में पानी, बाहर पानी।। |
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मंगलवार, 18 अगस्त 2009
‘‘घर में पानी, बाहर पानी’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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पानी ही पानी
जवाब देंहटाएंबाढ की विनाश लीला का बहुत सटीक सचित्र वर्णन किया....रचना मे इस त्रास्दी को सही उभारा है।
जवाब देंहटाएंबस इतना ही कह सकता हूं...वाह, वाह और वाह...
जवाब देंहटाएंआपने दोपहर को जो बाढ़ की बात कही तो समझ नहीं पाया कि उत्तरांचल के आपके नगर में बाढ़ आई है....
वाह रे पानी !!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या बात है! आपकी लेखनी को सलाम शास्त्री जी! क्या खूब लिखा है आपने बाढ पर! चारों तरफ़ सिर्फ़ पानी ही पानी अगर हो तो हर चीज़ के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है!
जवाब देंहटाएंअभी मत थामिए पानी ...बड़ी मुश्किल से बरसा है ..न हो तो बादलों को मरुभूमि की ओर रवाना कर दे ...!!
जवाब देंहटाएंAAPNE TO BADI DIL DAHALANE WALI TASBIRON KE SATH BADI JEEVANT POST LAGAI HAI.
जवाब देंहटाएंBHAGWAN SABKI RAKSHA KAREN.
ढ मे भी इतनी सुरीली कविताए लिख रहे हैं. इस पानी को हमारी ओर मोड दें जी.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
पानी तेरे रूप अनेक.......कभी जीवन की एक आस है पानी और कभी विनाश है पानी...
जवाब देंहटाएंregards
शास्त्री जी गजब का चित्रकन किया है आपने भगवान् सबका भला करे तो कैसे ?
जवाब देंहटाएंजीवन त्रस्त हो जाये,इतना भी न बरसो
जवाब देंहटाएंसुखी ज़िन्दगी हो जाये
इतना भी न तरसाओ.......
बहुत ही अच्छी रचना
बाढ़ के दृश्य तो वाक़ई भयावह हैं
जवाब देंहटाएं---
ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच
lets hope for the best!
जवाब देंहटाएंबडी विचित्र लीला है भगवान की .. खैर 19 के बाद कम होने के आसार हैं .. हो भी रहे हों शायद !!
जवाब देंहटाएंitne bhayanak halat hon aur usse khud bhi joojh rahe hon aur aise mein bhi kavita sirf shastri ji aap hi likh sakte hain...........itne bhayvah halat hain .......charon taraf pani hi pani hai..........tasveeron ke madhyam se sahi chitran kiya hai halat ka.
जवाब देंहटाएंaapko aur aapke sahas ko naman hai.
bahut hi samsamyik hai .........aapke lekhani ko pranaam hai ..........atisundar
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर रचना है बधाई स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंकहां पानी बरस नहीं रहा था, कहां बरसा तो--।
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
सदा की तरह मन को छूने वाली
जवाब देंहटाएंबाप से.. कहीं इतना और कहीं कुछ नहीं..
जवाब देंहटाएंpaani ho to mushkil na ho to mushkil...panktiyaan sabhi acchi..
जवाब देंहटाएंGHAR MEIN PANI BAHAR PANI
जवाब देंहटाएंESKO KAVITA KAHU YA ZINDGI.
REALLY YOU HAVE PENNED IT WELL.
SPELL BOUND OBE.
VERY VERY GOOD
THANKS
RAMESH SACHDEVA