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Ati sundar पलभर में ही हो गया, जीवन का अवसान।
जवाब देंहटाएंदाग़दार दामन किया, कहलाया हैवान।२।
जाते-जाते दे गया, दुनिया को सन्देश।
उग्रवाद करने कभी, जाना मत परदेश।३।
चार साल जीनो को जो रखा इसको छोड़ ,
जवाब देंहटाएंछूना देश पर लगा गया पूरे पचास करोड़ !
छूना को कृपया चूना पढ़े !
हटाएंउग्रवाद करने कभी,जाना मत परदेश। अच्छी पंक्ति,,,,
जवाब देंहटाएंअपना घर मिल गया कसाब को..
जवाब देंहटाएंबहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंशुरू कहानी जब हुई, करो फटाफट पूर ।
जवाब देंहटाएंझूलें फांसी शेष जो, क्यूँ है दिल्ली दूर ??
क्यूँ है दिल्ली दूर, कड़े सन्देश जरूरी ।
एक एक निपटाय, प्रक्रिया कर ले पूरी ।
कुचल सकल आतंक, बचें नहिं पाकिस्तानी ।
सुदृढ़ इच्छा-शक्ति, हुई अब शुरू कहानी ।।
करो तुम दोजख आबाद
जवाब देंहटाएंपियो खून और मवाद
दुनिया रखेगी हरदम
तेरे कारनामे काले याद
उग्रवाद तो.... कहीं भी उचित नहीं है...! चाहे अपना घर हो या दूसरे का......
जवाब देंहटाएं~सादर !
desh ka kuchh paisa to bachega ......
जवाब देंहटाएंकसाब के फाँसी पर उत्तम प्रस्तुति । बुरे काम का बुरा नतीजा ।
जवाब देंहटाएंक्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया सर
बहुत अच्छी रचना..
जवाब देंहटाएंअब सच्ची श्रद्धांजलि मिली है शहीदों को..
kavita achchhi hai, par ye biryani wali baat galat thi sir...!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति | पर और भी अच्छा तो तब भी होता जब सबको पहले से बता कर फांसी दिया जाता | पता नहीं सरकार को किससे डर था या अपने सुरक्षा तंत्र पर भरोसा नहीं था |
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त सुन्दर सार्थक .बधाई .
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