पुनः प्रकाशित
इतनी जल्दी क्या है बिटिया,
सिर पर
पल्लू लाने की।
अभी उम्र
है गुड्डे-गुड़ियों के संग,
समय
बिताने की।।
मम्मी-पापा
तुम्हें देख कर,
मन ही मन
हर्षाते हैं।
जब वो
नन्ही सी बेटी की,
छवि आखों
में पाते है।।
जब आयेगा
समय सुहाना,
देंगे हम
उपहार तुम्हें।
तन मन धन
से सब सौगातें,
देंगे
बारम्बार तुम्हें।।
दादी-बाबा
की प्यारी,
तुम सबकी
राजदुलारी हो।
घर आंगन
की बगिया की,
तुम
मनमोहक फुलवारी हो।।
सबकी
आँखों में बसती हो,
इस घर की
तुम दुनिया हो।
प्राची
तुम हो बड़ी सलोनी,
इक प्यारी
सी मुनिया हो।।
|
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बुधवार, 7 नवंबर 2012
"नन्ही सी बेटी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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प्यारी सी रचना ....प्राची को शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंये नन्ही अदाएं ही तो दिल को छु जाती हैं.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
बहुत ही सुन्दर रचना, प्राची को ढेर सारा प्यार ।
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंजब आयेगा समय सुहाना,
जवाब देंहटाएंदेंगे हम उपहार तुम्हें।
तन मन धन से सब सौगातें,
देंगे बारम्बार तुम्हें।।
प्राची को सस्नेह बहुत२ शुभकामनायें
स्नेहिल रचना...
जवाब देंहटाएंप्यारी सी गुड़िया ...प्यारी सी रचना..
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत प्यारी फोटो है प्राची की
जवाब देंहटाएंबढिया, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंइस स्नेहिल अभिव्यक्ति के लिये आभार
जवाब देंहटाएंप्यारी गुडिया के लिए प्यारी रचना हेतु बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंप्यारी सी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंpyar se bhingi prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता और उसके भाव |
जवाब देंहटाएंआशा