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तन्त्र ये खटक रहा है।
सुदामा भटक रहा है।।
कंस हो गये कृष्ण आज,
मक्कारी से चल रहा काज,
भक्षक बन बैठे यहाँ बाज,
महिलाओं की लुट रही लाज,
तन्त्र ये खटक रहा है।
सुदामा भटक रहा है।।
जहाँ कमाई हो हराम की
लूट वहाँ है राम नाम की,
महफिल सजती सिर्फ जाम की
बोली लगती जहाँ चाम की,
तन्त्र ये खटक रहा है।
सुदामा भटक रहा है।।
जहरीली बह रही गन्ध है,
जनता की आवाज मन्द है,
कारा में सच्चाई बन्द है,
गीतों में अब नहीं छन्द है,
तन्त्र ये खटक रहा है।
सुदामा भटक रहा है।।
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महफिल सजती सिर्फ जाम की
जवाब देंहटाएंबोली लगती जहाँ चाम की,,,,
भावमय सुंदर प्रस्तुति,,,,,
resent post : तड़प,,,
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (28-11-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ |
जहाँ कमाई हो हराम की
जवाब देंहटाएंलूट वहाँ है राम नाम की,
महफिल सजती सिर्फ जाम की
बोली लगती जहाँ चाम की,
तन्त्र ये खटक रहा है।
सुदामा भटक रहा है।।
लाजबाब !
सटीक...
जवाब देंहटाएंहम सब के मन में खटकता है
आज क्यों सुदामा भटकता है ....???
शुभकामनायें!
अच्छी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएं~सादर
जहाँ कमाई हो हराम की
जवाब देंहटाएंलूट वहाँ है राम नाम की,
महफिल सजती सिर्फ जाम की
बोली लगती जहाँ चाम की,
....बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...आभार
सही में सार्थक पेशकश
जवाब देंहटाएंNICE हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति.बधाई देर से ही सही प्रशासन जागा :बधाई हो बार एसोसिएशन कैराना .जिंदगी की हैसियत मौत की दासी की है
जवाब देंहटाएंगरीब सुदामा का कृष्ण एक न एक दिन अवश्य आयेगा..
जवाब देंहटाएंतंतर बदलने के दिन फिर आ रहे हैं
जवाब देंहटाएंकंस हो गये कृष्ण आज,
जवाब देंहटाएंमक्कारी से चल रहा काज,
भक्षक बन बैठे यहाँ बाज,
महिलाओं की लुट रही लाज,
तन्त्र ये खटक रहा है।
सुदामा भटक रहा है।।
सच कहा आज की परिस्थिति का सटीक आकलन
तन्त्र ये खटक रहा है।
जवाब देंहटाएं-सबको खटक रहा है!