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एक साल में एक दिन, हिन्दी का उद्घोष।
हिन्दी वालो सोचिये, किसका है यह दोष।१।
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हिन्दी भाषा के लिए, कैसी है ये सोच।
बोल-चाल में भी हमें, हिंग्लिश रही दबोच।२।
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कहनेभर से तो नहीं, होगा देश महान।
सब बेमन से कर रहे, हिन्दी का गुणगान।३।
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अँग्रेजी के रंग में, रँगे हुए गुणवन्त।
भाषण में भी बोलते, इंग्लिश सन्त-महन्त।४।
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हिन्दी का ये देश अब, लगता इंग्लिस्थान।
देवनागरी का यहाँ, कैसे हो उत्थान।६।
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हिन्दी का दिन बन गया, हिन्दी-डे ही आज।
गोरों के पदचिह्न पर, अब चल पड़ा समाज।६।
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भाषा का शव ढो रहे, सन्त-महन्त-फकीर।
देवनागरी के पड़ी, पाँवों में जंजीर।७।
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नहीं राष्ट्रभाषा बनी, शोचनीय है बात।
नौकरशाही कर रही, पग-पग पर उत्पात।८।
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हिन्दी-हिन्दुस्तान था, जिस दल का आधार।
अब कठिनाई कौन सी, उनकी है सरकार।९।
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तोड़ दीजिए सब मिथक, हिन्दी करे पुकार।
हिन्दी को दे दीजिए, अब उसका अधिकार।१०।
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ओ काशी के सांसद, संसद के शिरमौर।
हिन्दी के अपमान का, बन्द करो अब दौर।११।
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दशकों से जो सह रही, अपनों के ही दंश।
अब हिन्दी का देश में, पोषित कर दो वंश।१२।
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जिस भाषा में माँगते, सबसे मत का दान।
अब होना ही चाहिए, हिन्दी का सम्मान।१३।
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देवनागरी में लिखे, गीता-वेद पुराण।
अपनी हिन्दी नागरी, भारत माँ का प्राण।१४।
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रविवार, 11 सितंबर 2016
चौदह दोहे "हिन्दी का सम्मान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर दोहे ।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा
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