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अद्भुत।
जवाब देंहटाएंरोचक शैली में यह कविता एक नौटंकी सा समां बांध देती है, जहां दर्शक .. सॉरी ... पाठक कवि के साथ सारे दृष्य साकार होते हुए देख लेता है।
आभार!
आपकी लेखनी का एक और चमत्कार!
धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर .लिखावट भी और बनावट (तस्वीरें) भी .आभार दर्शन कराने का.
जवाब देंहटाएंजीवंत प्रस्तुति ! सजीव चित्रण.. आकर्षक शैली
जवाब देंहटाएंपाषाणो को छाँट रहे हैं मानुष हट्टे-कट्टे,
जवाब देंहटाएंगाँवों से महिलाएँ आयीं लेने को सिलबट्टे,
थोड़े दिन का है बाज़ार।
दर्शन कर लो बारम्बार।।
.....bahut sundar jhalkiyon bhari h Deewali mele ke prastuti man ko bahut bha gayee... Guru nanak Darshan karane ke liye aabhar.
मज़ा आ गया शास्त्री जी ... फोटो भी लाजवाब और आपके लिखने की शैली भी कमाल ...
जवाब देंहटाएंहर बार एक नया अन्दाज़ लेकर आते हैं आप ……………इस बार तो गज़ब कर दिया ……………गीतमय चित्रण देखकर आनन्द आ गया।
जवाब देंहटाएंतस्वीरें देख कर लगा कि मेले मे घूम रहे है। रचना भी सुन्दर लगी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमेले में आपने हमें भी घुमा दिया .. बहुत सुंदर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंडैम आकर्षित करता है मुझे. ऐतिहासिक पाकड़ का पेड़ (शायद) और अन्दर लिखा हुआ इतिहास..
जवाब देंहटाएंwah ji waah...sakshaat darshan kara diye aapne!
जवाब देंहटाएंसत श्री अकाल।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी... सादर नमस्कार व् चरणस्पर्श... आपके स्नेह के लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूँ... ऐसा ही स्नेह बनाये रखिये..
जवाब देंहटाएंचित्रों के साथ सुंदर शब्दों में प्रस्तुत आपकी पोस्ट्स हमेशा ही खास होती हैं..... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शास्त्री जी ... चित्र भी बहुत पसंद आये ... आभार
जवाब देंहटाएंमेला मुबारक!
जवाब देंहटाएंनानक जी का दरबार और बाजार की सैर आपने बहुत सुंदर ढंग से चित्रों और गीत के माध्यम से कराई, अच्छा लगा...बहुत बहुत धन्यवाद।
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