गुनगुनाओ
जरा कोई धुन प्यार से,
मैं
तुम्हारे लिए गीत बन जाऊँगा।
मेरी
सूरत बसाओ हिये में प्रिये!
मैं तुम्हारे लिए मीत बन जाऊँगा।
आग
बुझने न देना कभी प्यार की,
बात
करना सदा नव्य उपहार की,
हीरे-पन्ने
तो पत्थर हैं-निष्प्राण हैं,
मैं तुम्हारे लिए प्रीत बन जाऊँगा।।
मन
के विश्वास को हारना मत कभी
हार
संसार से मानना मत कभी,
तुम
बुरे वक्त में याद करना मुझे,
मैं
तुम्हारे लिए जीत बन जाऊँगा।
धन-घटा देख भयभीत होना न तुम,
चश्म
को आँसुओं से भिगोना न तुम,
ढाल
की क्या जरूरत तुम्हें है प्रिये!
मैं
तुम्हारे लिए भीत बन जाऊँगा।
|
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बुधवार, 10 जुलाई 2013
"मैं तुम्हारे लिए गीत बन जाऊँगा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मन के मीत को वादों का उपहार .....
जवाब देंहटाएंwow..bhaut hi khubsurat...
जवाब देंहटाएंवाह शाश्त्री जी, अच्छे अच्छे वादे किये हैं, जरा निभाने में पीछे मत रह जाना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुन्दर आशा..सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11/07/2013 के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
मन के विश्वास को हारना मत कभी
जवाब देंहटाएंहार संसार से मानना मत कभी,
तुम बुरे वक्त में याद करना मुझे,
मैं तुम्हारे लिए जीत बन जाऊँगा।
Prerak Shashtri Ji
वाह !!! बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंवाह प्रेमरस में सराबोर सुन्दर गीत बधाई आपको
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री असली चेहरा : पढिए रोजनामचा
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/like.html#comment-form
सुन्दरतम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगीत ... खुबसूरत गीत ....मज़ा आ गया गुनगुनाकर
जवाब देंहटाएंsangeetmayi rachna guru ji
जवाब देंहटाएंयही होता है सच्चा मीत ………।सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसकारात्मक भाव लिए ,आशाएँ जगाता गीत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंभाव भरी प्रेरक पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर
जवाब देंहटाएंwaah bahut sundar geet manbhavan tohafa meet ka
जवाब देंहटाएंजीवन ऐसे ही बीते तो कितना अच्छा ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब भाव प्रधान रचना .. नमस्कार शास्त्री जी ...
तुम बुरे वक्त में याद करना मुझे,
जवाब देंहटाएंमैं तुम्हारे लिए जीत बन जाऊँगा।
वाह !!! बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,