गीत में साज बजाओ तो कोई बात बने।।
एक दिन मौज मनाने से क्या भला होगा?
रोज दीवाली मनाओ तो कोई बात बने।
इन बनावट के उसूलों में धरा ही क्या है?
प्रीत हर दिल में जगाओ तो कोई बात बने।
क्यों खुदा कैद किया दैर-ओ-हरम में नादां,
रब को सीने में सजाओ तो कोई बात बने।
सिर्फ पुतलों के जलाने से फायदा क्या है?
दिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने।
sundar gazal .badhai
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ग़ज़ल..... बधाई आपको
जवाब देंहटाएंसिर्फ पुतलों को जलाने से फायदा क्या है,
जवाब देंहटाएंदिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने....!
बहुत सुंदर रचना महोदय...
साभार.....
kya bat hai ..bahut bahut badhaiyan...
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई जी आपको.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बधाई और शुभ-कामनाएं ।
जवाब देंहटाएंlakh lakh vadhaaiyaan hon jee
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